प्राचीन भारतइतिहास

हिन्द यूनानी शासक कौन थे

विदेशी लोगों में सबसे सभ्य व शिक्षित लोग इंडो-ग्रीक थे, तथा इन्हीं लोगों ने सबसे पहले सोने के सिक्के भी चलाये थे।

हिन्द यूनानी लोगों को इंडो-ग्रीक(Indo-Greek) तथा हिन्द-यवन(Hind-yawn) नामों से भी जाना जाता है। भारतीय ग्रंथों में इनके लिए यवन शब्द मिलता है। सिक्कों के आधार पर जानकारी मिलती है, कि इंडो-ग्रीक कुल 30 शासक हुये, इनकी दो शाखायें थी –

1.) डेमेट्रियस शाखा तथा

2.)यूक्रेटाइड्स शाखा।

डेमेट्रियस शाखा –

इस शाखा के शासक का नाम दमित्र था। इसने 183 ई.पू. में भारतीय भू-भाग पर आक्रमण किया और अफगानिस्तान व पंजाब दोनों पर आक्रमण किया। इसकी राजधानी साकल (स्यालकोट – पाकिस्तान, पंजाब) थी।

यह डेमेट्रियस शाखा का पहला शासक था। डेमेट्रियस ने अपने और अपने पिता के नाम पर पंजाब व अफगानिस्तान में कुछ नगरों की स्थापना की।

डेमेट्रियस पोलिस नामक नगर वर्तमान में अराकोशिया है, जो अफगानिस्तान में है।

दत्तमित्रि (सौवीर पुराना नाम) पाक में है।

यूथीडेमिया (साकल) डेमेट्रियस का पिता था।

डेमेट्रियस ने भारतीय शासकों की तरह उपाधियाँ धारण की थी।

जैसे – ग्रेट डेमेट्रियस, अजय, धर्मातीय, रेक्स इंडोरस आदि।

डेमेट्रियस ने अपने सोने के सिक्कों पर यूनानी व खरोष्ठी दोनों लिपियों का उपयोग किया।

खरोष्ठी लिपि का विकास इरानी शासकों से हुआ है।

डेमेट्रियस के बाद उसके दो सेनापति अलग-2 क्षेत्रों में शासन करते हैं।

1.) अपोलोडोट्स – डेमेट्रियस का छोटा भाई ।

2.) मिनांडर – सबसे प्रमुख शासक इंडोग्रीक शासकों में । मिनांडर को बौद्ध ग्रंथों में मिलिंद भी कहा गया है।

ब्राह्मणेत्तर साहित्यः बौद्ध ग्रंथ।

मिनांडर (160-120 ई.पू.)-

इसकी राजधानी साकल थी।

साम्राज्य विस्तार- पूर्व में मथुरा व दक्षिण में भारूकच्छ (भङौंच-गुजरात) तक था। इसका दूसरा नाम बेरीगाजा( bereegaaja ) भी है। यह एक बंदरगाह भी था।

यूनानी स्ट्रेबों के अनुसार मिनांडर ने पाटलिपुत्र तक आक्रमण किया था और इसकी पुष्टि कोसांबी (इलाहाबाद) के निकट रेह नामक गाँव से प्राप्त अभिलेख से होती है।

पेरिप्लस ऑफ दे एरिथ्रिंयस सी (1 शता.) के अनुसार बेरीगाजा में मिनांडर के सिक्के चलते थे। मिनांडर को एशिया का संरक्षक कहा गया है।

प्लूटार्क ने मिनांडर की न्यायप्रियता की प्रशंसा की है।

मिनांडर के सिक्कों पर हाथी का चित्र, धर्म चक्र(बौद्ध धर्म), घर्मिक्स शब्द मिलते हैं, जो उसके बौद्ध को अपनाने के प्रमाण हैं। इसकी पुष्टि बौद्ध ग्रंथ मिलिन्दपन्हों से भी होती है। यह ग्रंथ बौद्ध धर्म की महायान शाखा से संबंधित है। तथा पालि भाषा में लिखा हुआ है। इस ग्रंथ में बौद्ध भिक्षु नागसेन तथा मिनांडर के बीच अनात्मवाद को लेकर दार्शनिक वार्तालाप है।

बौद्ध धर्म की हीनयान व महायान शाखा।

मिनांडर के पश्चात् “स्ट्रेटो प्रथम” शासक बना, जिसने सोटर की उपाधि ली।

सोटर के बाद यूर्केटाइड्स शाखा के शासक हेलियोक्लिज ने डेमेट्रियस शाखा पर आक्रमण शुरु कर दिया।

यूक्रेटाइड्स शाखा-

इसका प्रथम शासक यूक्रेटाइट्स था, जो कि डेमेट्रियस का समकालीन था, इसने डेमट्रियस के बैक्ट्रियाई क्षेत्र को जीत लिया।

यूक्रेटाइट्स ने तक्षशिला को राजधानी बनाया।

इसके बाद हेलियाक्लिज व एण्टियालकीड्स शासक हुये। एण्टियालकीड्स ने शुंग शासक भागवद के दरबार में अपना राजदूत हेलियोडोरस को भेजा था। और डेमेट्रियस शाखा के विरुद्ध शुंग शासक से संधि कर ली थी।

यूक्रेटाइड्स शाखा का अंतिम शासक हर्मियस था।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

Related Articles

error: Content is protected !!