प्राचीन भारतइतिहास

खारवेल का प्रारंभिक जीवन

कलिंग के चेदि राजवंश का संस्थापक महामेघवाहन नामक व्यक्ति था।अतः इस वंश का नाम महामेघवाहन वंश भी पङ गया। इस वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा खारवेल था। खारवेल प्राचीन भारतीय इतिहास के महानतम सम्राटों में से एक है। उङीसा राज्य के भुवनेश्वर (पूरी जिले) से तीन मील की दूरी पर स्थित उदयगिरि पहाङी की हाथीगुंफा से उसका एक बिना तिथि का अभिलेख प्राप्त हुआ है। इसमें खारवेल के बचपन, शिक्षा, राज्याभिषेक तथा राजा होने के बाद से 13 वर्ष तक शासन काल की घटनाओं का क्रमबद्ध विवरण दिया हुआ है। हाथीगुंफा अभिलेख खारवेल के राज्यकाल का इतिहास जानने का एकमात्र स्रोत है।

कलिंग कहाँ स्थित है, तथा कलिंग युद्ध का वर्णन।

हाथीगुंफा अभिलेख।

खारवेल का प्रारंभिक जीवन-

हाथीगुंफा अभिलेख खारवेल की उत्पत्ति तथा वंश परंपरा पर कोई प्रकाश नहीं डालता। उसे कलिंग का तीसरा शासक बताता है। महामेघवाल उसका दादा था। मंचपुरी गुफा के एक लेख में वक्रदेव नामक महामेघवाहन शासक का उल्लेख हुआ है।

डी.सी.सरकार तथा ए.के.मजूमदार जैसे विद्वान इसे ही कलिंग के चेदि वंश का दूसरा शासक तथा खारवेल का पिता बताते हैं। किन्तु यह पूर्णतया अनुमानपरक है। तथा इस संबंध में हम निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कह सकते। हाथी गुंफा अभिलेख से पता चलता है,कि जन्म से लेकर 15 वर्ष की अवस्था तक उसे युवा राजकुमारों के अनुसार विविध प्रकार की क्रीङाओं तथा विद्याओं की शिक्षा-दीक्षा मिली। उसका शरीर स्वस्थ तथा वर्ण गौर था। उसे लेख, मुद्रा, गणना, व्यवहार तथा विधि आदि की शिक्षा दी गयी।

15 वर्ष की आयु में वह युवराज बनाया गया तथा युवराज के रूप में 9 वर्षों तक प्रशासनिक कार्यों में भाग लिया। 24 वर्ष की आयु में उसका राज्याभिषेक किया गया तथा वह राजा बना। उसका विवाह ललक हत्थिसिंह नामक एक राजा की कन्या से हुआ था, जो उसकी प्रधान महिषी बन गयी।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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