प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल खजुराहो
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खजुराहो नामक स्थान स्थित है। प्राचीन काल में यह बुन्देलखण्ड का एक प्रमुख नगर था। चन्देल राजपूत शासकों ने इस नगर को विशाल तआ भव्य मन्दिरों से सुसज्जित करवाया था। उनके द्वारा बनवाये गये 30 मन्दिर आज भी यहाँ विद्यमान हैं। इनका समय सामान्यतः 10वीं -11वीं शती का है। कुछ मन्दिर इससे पूर्व के हैं। मन्दिर, जैन तथा हिन्दू दोनों ही धर्मों से सम्बन्धित हैं।
जैन मन्दिरों में पार्श्वनाथ का मन्दिर सर्वप्रसिद्ध एवं बड़ा है। यह 62X31 के आकार का है। मन्दिर की बाहरी दिवारों पर जैन मूर्तियों की तीन पंक्तियाँ उत्कीर्ण की गयी है। खजुराहों का सबसे श्रेष्ठ मन्दिर ‘कन्डारिया महादेव मन्दिर’ है। यह 109X60X116 के आकार में बना हुआ है। मन्दिर वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकाी प्रत्येक भाग सुन्दर मूर्तियों से उत्खचित है। कनिंघम की गणना के अनुसार यहाँ केवल दो तथा तीन फुट ऊँचाई वाली मूर्तियों की संख्या ही 872 है। मन्दिर पर उत्तुंग शिखर है। मन्दिर के शिल्पकला की प्रशंसा सभी विद्वानों ने की है।
कन्डारिया महादेव का मन्दिर अपनी विशालता, सुदृढ़ता एवं भव्यता के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर चौंसठ योगिनियों का है जिसका निर्माण संभवतः 7वीं शता. मे हुआ था। खजुराहो के मन्दिर पर उत्कीर्ण कुछ मूर्तियाँ अत्यत अश्लील हो गयी है। इनक ऊपर संभवतः तांत्रिकों का प्रभाव लगता है। कालात्मक दृष्टि से ये उच्चकोटि की है।
राजपूतकालीन स्थापत्य कला मंदिर कला।
समग्ररूप से खजुराहो की वास्तु तथा मूर्ति दोनों ही कलाओं अत्यत सराहनीय है तथा दर्शकों का मन सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है। खजुराहो के मन्दिरों की दीवारों से चन्देल वंश के दो शासकों गण्ड तथा यशोवर्मा के लेख भी प्राप्त होते हैं।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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