प्राचीन भारतइतिहास

परवर्ती मौर्य शासकःदशरथ,बृहद्रथ

अशोक की मृत्यु 237-36ईसा पूर्व के लगभग हुई। उसके बाद का मौर्य वंश का इतिहास अंधकारपूर्ण है। ब्राह्मण, बौद्ध तथा जैन ग्रंथों में परवर्ती मौर्य शासकों के विषय में परस्पर विरोधी विचार मिलते हैं। पुराणों में अशोक के बाद शासन करने वाले 9 या 10 शासकों के नामों की जानकारी मिलती है।

अशोक की मृत्यु कब हुई?

अशोक के एक लघु स्तंभ लेख में केवल एक पुत्र तीवर का उल्लेख मिलता है। जबकि अन्य साक्ष्य इसके विषय में मौन हैं। अशोक के जीवन काल में ही उसकी मृत्यु हो गयी थी। कश्मीरी लेखक कल्हण तथा तिब्बती लेखक तारानाथ ने अशोक के उत्तराधिकारियों का जो विवरण दिया है, वह भी एक-दूसरे के विरुद्ध है। ऐसी स्थिति में यह निश्चित रूप से बता सकना कठिन है, कि अशोक के बाद शासन करने वाले राजाओं का क्रम क्या था?

अशोक के लघु स्तंभ-लेख।

विभिन्न स्रोतों से परवर्ती मौर्य नरेशों की निम्नलिखित तालिका प्राप्त होती है-

पुराणों के अनुसार मौर्य नरेशों की सूची निम्नलिखित है-

  1. कुणाल
  2. बंधुपालित (कुणाल का पुत्र)
  3. इंद्रपालित (बंधुपालित का भाई)
  4. दशोन (बंधुपालित का पौत्र)
  5. दशरथ (अशोक का पुत्र)
  6. संप्रति (दशरथ का पुत्र)
  7. शालिशूक
  8. देवधर्मन्
  9. शतधनुष (देवधर्मन् का पुत्र)
  10. बृहद्रथ

दिव्यावदान के अनुसार मौर्य नरेशों की सूची निम्नलिखित है

  1. कुणाल
  2. संपदि (कुणाल का पुत्र)
  3. बृहस्पति (संपदि का पुत्र)
  4. वृषसेन (बृहस्पति का पुत्र)
  5. पुष्यधर्मन् (वृषसेन का पुत्र)
  6. पुष्यमित्र (पुष्यधर्मन् का पुत्र)

तारानाथ ने केवल तीन मौर्य शासकों का उल्लेख किया है-

  1. कुणाल,
  2. विगताशोक,
  3. वीरसेन।

कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर में अशोक का उत्तराधिकारी जालौक हुआ। वह शैव था। उसने म्लेच्छों को परास्त कर अपने राज्य को सुरक्षित किया तथा उसे कनौज तक बढाया।

शैव धर्म से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य।

इन सभी राजाओं में दशरथ के विषय में पुरातत्वीय प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं।दशरथ ने बिहार प्रांत के गया जिले में स्थित नागार्जुनी पहाङी पर आजीवक संप्रदाय के साधुओं के निवास के लिये एक गुफा निर्मित करवाई थी। इन गुफाओं की दीवारों पर खुदे हुये लेखों से पता चलता है, कि वह अशोक की तरह देवानंपिय की उपाधि धारण करता था। परंतु बौद्ध जैन धर्म ग्रंथों में दशरथ का नाम कहीं भी नहीं मिलता।

गुफा अभिलेख कितने हैं?

पुराणों के अनुसार दशरथ ने कुल 8 वर्षों तक शासन किया। दशरथ की मृत्यु के बाद उसका पुत्र संप्रति शासक हुआ। जैन ग्रंथों में उसे जैन धर्म का संरक्षक कहा गया है, जिसने हजारों जौन तीर्थंङ्करों के मंदिरों का निर्माण करवाया था। वह पाटलिपुत्र का राजा था तथा धर्म का संरक्षक कहा गया है। दशरथ ने हजारों जैन तीर्थंङ्करों के मंदिरों का निर्माण करवाया था। उसके साम्राज्य में अवंति तथा पश्चिमी भारत भी सम्मिलित था।परंतु पुराणों के विपरीत जैन ग्रंथ संप्रति को कुणाल का पुत्र मानते हैं।

संप्रति के बाद शालिशूक नाम का राजा हुआ। गार्गी संहिता में उसे धार्मिक के रूप में अधार्मिक, धूर्त एवं झगङालू शासक कहा गया है। उसे धर्म विजय करने वाला कहा गया है। क्योंकि शालिशूक ने यज्ञों के अनुष्ठान को रोकने का प्रयास किया था।

शालिशूक के शासन-काल के अंत में (206 ईसा पूर्व) यवन नरेश अंतियोकस तृतीय ने हिन्दुकुश पर्वत को पार कर काबुल घाटी के शासक से उपहार प्राप्त किया।

पुराणों के अनुसार शालिशूक के बाद देवधर्मन्, शतधन्वन् तथा बृहद्रथ मौर्य वंश के राजा हुए।

सभी पुराण बृहद्रथ को ही मौर्य वंश का अंतिम शासक मानते हैं। बाणभट्ट ने भी अपने ग्रंथ हर्षचरित में बृहद्रथ को ही मौर्य वंश का अंतिम राजा माना है।

बृहद्रथ को प्रज्ञादुर्बल (बुद्धिहीन) शासक कहा गया है। उसका सेनापति पुष्यमित्र शुंग था। दिव्यावदान में भ्रमवंश पुष्यमित्र को मौर्य कुल का शासक बताया गया है। पुष्यमित्र ने 184ईसा पूर्व में अपने स्वामी बृहद्रथ की सेना का निरीक्षण करते समय धोखे से हत्या कर दी। बृहद्रथ की मृत्यु के साथ ही मौर्यवंश का अंत हो गया।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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