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RBSE कक्षा 11 के इतिहास विषय का चेप्टर पुनर्जागरण

यूरोप में पुनर्जागरण

RBSE कक्षा 11 के इतिहास विषय का चेप्टर पुनर्जागरण (renaissance)

हमारा देश भारत जिस समय मानव सभ्यता और संस्कृति के सभी क्षेत्रों में चहुँमुखी प्रगति के शिखर पर था, उस समय संपूर्ण पाश्चात्य विश्व में अंधकार व्याप्त था। तब प्राचीन यूनान और रोम की संस्कृति विलुप्त होकर उनका बौद्धिक विकास अवरुद्ध हो गया था। मानव मस्तिष्क पर रूढिवादी धर्म परंपराओं का आवरण छा गया था।

सर्वत्र उदासीनता एवं निराशा का वातावरण था। 14 वीं शताब्दी से 16 वीं शताब्दी के मध्य यूरोप में नवयुग का सूत्रपात हुआ। मानव चेतना का उदय होने लगा। नवजागृति के इसी अभ्युदय को पुनर्जागरण कहा गया।

यूरोप में पुनर्जागरण

बुद्धि का पुनः उदय, तर्क शक्ति का पुनर्जन्म और मनुष्य में अपने जीवन के प्रति मोह का उत्पन्न होना पुनर्जागरण काल की विशेषता मानी जाती है। मनुष्य ने इसी नवयुग में धार्मिक आडंबर, रूढिवाद, सामंती शोषण, राजनीतिक अराजकता और अज्ञान जनित आलस्य के बंधन से मुक्त होकर, स्वछंद वातावरण में श्वांस लेना प्रारंभ किया।

पुनर्जागरण काल सामान्यतः 1350 ई. से 1550 ई. के मध्य माना जाता है। वस्तुतः पुनर्जागरण से ही यूरोप में आधुनिक युग का प्रारंभ होता है। मध्यकाल से आधुनिक काल में प्रवेश की कोई सीमा रेखा नहीं थी, यह तो क्रमशः विकास की एक प्रक्रिया का काल था जो लगभग 13 वीं शताब्दी के अंत से प्रारंभ होकर 16 वीं शताब्दी तक सांस्कृतिक एवं बौद्धिक क्षेत्र में आये विभिन्न परिवर्तनों के रूप में दिखाई देने लगा था। इस दृष्टि से पुनर्जागरण कोई आकस्मिक घटना नहीं थी, अपितु यह तो एक लंबी विकास यात्रा का परिणाम था, जिसमें शनैः शनैः मनुष्य ने प्रचलित कुप्रथाओं, मान्यताओं, शोषण की कुप्रवृत्तियों से मुक्ति का मार्ग ढूंढना प्रारंभ किया।

पुनर्जागरण का अर्थपुनर्जागरण का अर्थ क्या है?

फ्रेन्च भाषा के मौलिक शब्द रेनेसा का प्रथम प्रयोग इटली के वैसारी ने 16 वीं शताब्दी के स्थापत्य एवं मूर्तिकला में आये क्रांतिकारी परिवर्तनों के लिए किया था। 18 वीं शताब्दी के फ्रांसीसी विद्वान दिदरो ने भी कला एवं साहित्य के नवसृजन हेतु रेनेसां शब्द का प्रयोग किया था।

पुनर्जागरण का साहित्यिक अर्थ है नया जन्म व्यवहार में मानव की मनः स्थिति, चिन्तन प्रवृत्ति एवं जिज्ञासा के पुनः जन्म को पुनर्जागरण कहा जा सकता है।

प्रो.डेविस के अनुसार पुनर्जागरण शब्द मानव के उन स्वतंत्रताप्रिय और साहसपूर्ण विचारों को अभिव्यक्त करता है, जो मध्य युग में धर्माधिकारियों के यहां कैद थे।

सेबाइन के अनुसार – पुनर्जागरण एक सामूहिक अभिव्यक्ति है, जिसका प्रयोग मध्य युग के अंत में और आधुनिक युग के आरंभ के समय दृष्टि गोचर सभी बौद्धिक परिवर्तनों के लिये किया गया।

बर्नस का मत है कि रेनेसां, अपने में ऐसे अनेक प्रभावशाली विचार और प्रवृत्तियां रखता है, जो आमतौर पर आधुनिक संसार के लिये स्वर निर्धारित करते हैं।

प्रो.हेनरी एस.ल्यूकास के शब्दों में – पुनर्जागरण का तात्पर्य उन महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक परिवर्तनों से है, जिनका विकास 14 वीं शताब्दी में इटली से प्रारंभ होकर 17 वीं शताब्दी तक यूरोप के अन्य भागों में फैल गया।

एलिन व जॉन के मतानुसार पुनर्जागरण ने मनुष्य के क्षितिज का विस्तार किया। यूरोप में पुनर्जागरण, मध्य युग और आधुनिक युग के बीच सेतु की तरह है।

जे.ई.स्वेन का मत है कि पुनर्जागरण एक ऐसा शब्द है, जो उत्तर मध्यकाल और आधुनिक काल के समस्त मानसिक परिवर्तनों को सामूहिक रूप से व्यक्त करता है। इसमें भूतकाल के प्रति अभिरूचि एवं वर्तमान को आत्मसात करने के लिए बौद्धिक चेतना उपस्थित थी।

जवाहरलाल नेहरू के शब्दों, पुनर्जागरण, विद्या का पुनर्जन्म, कला, विज्ञान, साहित्य और यूरोपीय भाषाओं का विकास था।

प्लैट एवं जीन ड्रमण्ड का मत है, कि पुनर्जागरण ने मनुष्य में, उसकी उपलब्धियों में और संसार के प्रति उसकी रुचि को पुनः जागृत किया।

निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि तर्क, जिज्ञासा और शिक्षा के द्वारा ज्ञान विज्ञान, कृषि, उद्योग, कला, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में हुई चहुंमुखी प्रगति को पुनर्जागरण कहा जा सकता है, जिसने मानववाद को जन्म दिया। आधुनिकता का सूर्योदय यूरोप में हुआ।

पुनर्जागरण की विशेषताएं

  • मानववाद का उदय और विकास
  • तर्क एवं मानव की जिज्ञासु प्रवृत्ति का उदय
  • प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागृति
  • नवीन भौगोलिक अन्वेषण
  • कला के लौकिक स्वरूप का विकास
  • शिक्षा एवं भौतिक मूल्यों के प्रति आकर्षण

पुनर्जागरण का केन्द्र इटली – यूरोप में पुनर्जागरण कहाँ से प्रारंभ हुआ

  • प्राचीन रोमन सभ्यता का केन्द्र
  • व्यापारिक समृद्धि एवं विदेश व्यापार का केन्द्र
  • प्राचीन यूनानी संस्कृति से संपर्क
  • पूर्व की समृद्ध संस्कृतियों से संपर्क
  • इटली में नगरों का विकास
  • इटली में शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन

पुनर्जागरण हेतु उत्तरदायी कारण

  • धर्मयुद्ध
  • व्यापारिक समृद्धि
  • मुद्रण यंत्र का आविष्कार
  • कुस्तुन्तुनिया पर तुर्कों का अधिकार
  • शिक्षा का प्रसार
  • मानववाद का विकास
  • विद्वान चिन्तकों एवं साहित्यकारों की भूमिका
  • भौगोलिक अन्वेषण एवं वैज्ञानिक आविष्कार
  • राष्ट्रीयता की भावना

पुनर्जागरण के परिणाम

  • मानववाद, कला, साहित्य,भौगोलिक अन्वेषण,वैज्ञानिक आविष्कार,

पुनर्जागरण का महत्त्व

पुनर्जागरण का मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अद्भुत प्रभाव हुआ। पुनर्जागरण जनित बौद्धिक जागृति ने राजनीतिक क्षेत्र में निरंकुश एवं दैवीय राजतंत्र के स्थान पर राष्ट्रीयता की विचारधारा का विकास किया। समाज का जीवन स्तर उच्च बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई

आर्थिक क्षेत्र में वाणिज्यवाद एवं औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात किया। अधिक सोना, अधिक वैभव एवं अधिक शक्ति की विचारधारा ने समाज के स्वरूप को ही बदल दिया। सांस्कृतिक क्षेत्र में मानव को स्वतंत्र चिंतन का अवसर दिया। संपूर्ण विश्व के मानव परस्पर निकट आये। शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई। बंधन मुक्त नवीन पाठ्यक्रम युक्त शिक्षण संस्थाएं प्राथमिक से विश्वविद्यालय स्तर तक स्थापित हुई।

पुनर्जागरण का नकारात्मक पक्ष भी शीघ्र सामने आया। नैतिकता, सादगी, सरलता के अर्थ और मूल्य ही बदल गए। मानव के जीवन पर भौतिकता का प्रभाव बढता गया। सात्विकता एवं आध्यात्मिकता के जीवन मूल्यों का स्थान धनार्जन की वणिक प्रवृत्ति और भौतिक संसाधनों के प्रति आकर्षण ने ले लिया, जिसका विकृत स्वरूप यूरोप से चलकर संपूर्ण विश्व मानवता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। फिर भी पुनर्जागरण ने मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को पूर्णतः प्रभावित किया है जो निम्न बिन्दुओं में दिखाई देते हैं-

  • वाणिज्यवाद जनित औद्योगिक क्रांति ने प्रकृति का पूर्ण दोहन कर मनुष्य को कृषि से अधिक उद्योग पर निर्भर बना दिया।
  • सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में आये परिवर्तनों ने नगरीय जीवन एवं पूंजीवाद का प्रसार किया।
  • साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
  • पुनर्जागरण प्रभावित कला में यथार्थ वादी, व्यक्तिवादी एवं लौकिक विषयों को प्रोत्साहन मिला।
  • विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों ने मानव इतिहास को ही बदल दिया।
  • पुनर्जागरण ने राष्ट्रीय भावना के उदय में महत्त्वपूर्ण योगदान किया।
  • तर्कवाद के जन्म से वर्षों से ठगी जाती रही मानव जाति को राहत मिली।
  • पुनर्जागरण के बाद का विश्व उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद में परिणत होता चला गया।
  • पुनर्जागरण की बौद्धिक विचारधारा ने जहां प्रारंभिक काल में मानववादी चिन्तन से मनुष्य को स्वयं के प्रति जागरुक बनाया वहीं इसके नकारात्मक बहाव ने उसे अति भौतिकवादी और यंत्रवत भी बना दिया है।

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