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यूरोप में पुनर्जागरण कहां से प्रारंभ हुआ था

यूरोप में पुनर्जागरण कहां से प्रारंभ हुआ था

पुनर्जागरण(Renaissance)क्या है

पुनर्जागरण का अर्थ – पुनर्जागरण (रेनेसां) फ्रेंच भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है फिर से जागना अथवा पुनर्जन्म। पुनर्जन्म व्यापारिक रूप से मानव समाज की बौद्धिक चेतना और तर्कशक्ति का उदय था। इसके कारण मनुष्य धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर स्वतंत्र रूप से आलोचनात्मक एवं अन्वेषणात्मक चिंतन करने लगा।

परिणाम स्वरूप कला, साहित्य, विज्ञान, दर्शन एवं जीवन के सभी दृष्टिकोणों में महान परिवर्तन आया।

अर्थात् हम कह सकते हैं, कि पुनर्जागरण यूरोप में 13 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से 17 वीं शताब्दी के मध्य तक जो सांस्कृतिक उन्नति हुई और जीवन मूल्य में परिवर्तन आए, जिससे एक नए युग का सूत्रपात हुआ, पुनर्जागरण कहलाता है।

पुनर्जागरण की विशेषताएं/तत्व/स्वरूप

स्वतंत्र चिन्तन – धार्मिक आस्था(चर्च) के स्थान पर बौद्धकता/स्वतंत्र चिंतन(पहले जानो फिर मानो) को महत्त्व दिया गया।अब सत्य की कसौटी पर बातों को माना गया।

मानववाद – सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता मानवतावाद थी, पुनर्जागरण कालीन चिंतको ने परलोक(स्वर्ग) होने चिंतन की बजाय थइहलोक चिंतन पर बल दिया गया।मानवतावाद का विचार दांते, पेट्रोक,इरैस्मस ने दिया था।

नई खोज – मानवतावाद तथा व्यक्तिवाद पर बल देने के कारण व्यक्ति की जिज्ञासा तथा उसकी दृष्टि को प्रोत्साहन मिला, व्यक्ति की सफलता के लिये ईश्वर को उत्तरदायी न मानकर उसकी उपलब्धियों को माना गया।

व्यक्तिवाद – व्यक्तियों को तथा उसकी उपलब्धियों को महत्व दिया गया।

धर्मनिरपेक्षता – धार्मिक आडंबरों तथा अंधविश्वास को दूर करना तथा व्यक्ति के जीवन को धार्मिक नियंत्रण से मुक्त करना।

सहज सौन्दर्य की उपासना – सहज एवं सरल सौन्दर्य का महत्त्व बड गया। उदाहरण के तौर पर मोनालिसा।

देशज भाषाओं का विकास – यूनानी और लैटिन भाषा में लिखे गये ग्रंथों की महत्त्वता के स्थान पर पुनर्जागरण के काल में बोलचाल की भाषा को महत्त्व दिया गया।

पुनर्जागरण के कारण

धर्मयुद्ध – ईसाई धर्म के पवित्र तीर्थ स्थान जेरूसलम के अधिकार को लेकर ईसाईयों और तुर्की मुसलमानों के बीच लङे गये युद्ध जिनमें अंतिम विजय तुर्कों को मिली, लेकिन इसने पुनर्जागरण को प्रोत्साहित किया। यूरोप वासियों का पूर्व(अरबीय ज्ञान) के विद्वानों से संपर्क में लाया गया। धर्म युद्ध से नवीन मार्गों की खोज एवं सहायक यात्राएं प्रारंभ हुई। धर्म युद्ध में यूरोप वासियों की असफलता से पोप की प्रतिष्ठा में कमी आई।

व्यापारिक समृद्धि – धर्म युद्ध के समय अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण इटली के नगरों में व्यवसायिक समृद्धि का लाभ उठाया, यह समृद्धि जर्मनी से होते हुये पूरे यूरोप में फैली।

अरब और मंगोलों का योगदान – अरबों से यूरोपियों को कुतुबनुमा, कागज और छापाखाने की जनाकारी मिली। यूरोप में अरब वासियों के बस जाने के कारण बहुत सी बातें सीखने को मिली विशेषकर स्वतंत्र चिंतन। कोबुलाई के द्वारा विशाल मंगोल साम्राज्य स्थापित किया गया, जिस के दरबार में पोप के दूत, यूरोपीय देशों के व्यापारी एवं दास्ताकार तथा भारत एवं अन्य एशियाई देशों के विद्वान रहते थे।

कागज और छापाखाना – यूरोप वासियों ने अरबों के माध्यम से कागज बनाने की कला सीखी।

कुस्तुनतुनिया पर तुर्कों का अधिकार – तुर्कों ने पूर्वी रोमन साम्राज्य (बाइजेंटाइन साम्राज्य) की राजधानी कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया, जिससे वहां के लेखक, वैज्ञानिक, दार्शनिक, कलाकार आदि इटली, फ्रांस तथा जर्मनी की ओर चले गये।

भौगोलिक खोंजें – कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लेने से यूरोप व पूर्वी देशों के बीच व्यापारिक मार्ग अवरुद्ध हो गया, जिससे नवीन खोजें हुई, 1487 बार्थोंलोम्यू डीयाज द्वारा केप ऑफ गुज होप, 1492 कोलंबस द्वारा अमेरिका, 1498 वास्कोडिगामा द्वारा भारत की खोज की गयी।

पुनर्जागरण का प्रारंभ इटली से ही क्यो हुआ

भौगोलिक स्थिति – इटली पश्चिमी एवं पूर्वी दुनिया के मध्य भूमध्य सागर में स्थित था। जिससे होकर यूरोप एवं एशिया के व्यापारी आया जाया करते थे। जिससे ज्ञान का लाभ सबसे ज्यादा इटली को मिला।

व्यापारिक समृद्धि – व्यापार वाणिज्य के समृद्धि से इटली अनेक विदेशी संस्कृतियों के संपर्क में आया। व्यापारिक गतिविधियों के कारण मिलान, नेपल्स, फ्लोरेंस तथा वेनिस आदि नगरों का विकास हुआ, जो सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र बने। व्यापारिक समृद्धि से समृद्ध व्यापारिक वर्ग का उदय हुआ, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में धन का खुले मन से प्रयोग किया। नवीन व्यापारिक वर्ग के चर्च की ओलोचना की गई।

कुस्तुनतुनिया के पतन का प्रभाव – कुस्तुनतुनिया का पतन के बाद वहां के विद्वान प्राचीन साहित्य की प्रवृत्तियों को लेकर पहले इटली के नगरों में पहुंचे, जिससे इसी में नवीन चेतना का विकास हुआ।

प्राचीन रोमन सभ्यता – इटली प्राचीन रोमन सभ्यता से जुङा हुआ था, जो साम्राज्य और संस्कृति का प्रतीक थी, प्राचीन रोमन संस्कृति पुनर्जागरण की प्रेरणा स्त्रोत बनी।

पोप का निवास – इटली के वेटिकन सिटी में रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्माधिकारी पोप का निवास था। कुछ प्रगतिशील पोपों ने विद्वान और कलाकारों को रोम में बसने के लिये आमंत्रित किया, उन लोगों ने यूनानी ग्रंथों का लेटिन भाषा में अनुवाद करवाया।

उदारवादी समाज – इटली रोमन साम्राज्य के नियंत्रण से मुक्त था एवं यहां सामंती प्रथा नहीं बन पाई थी। इससे नवीन स्वतंत्र नगर राज्यों का विकास संभव हुआ। तथा इटली में उदारवादी एवं स्वतंत्र विचारों का विकास हो पाया।

धर्मनिरपेक्षता – धार्मिक आडंबरों तथा अंधविश्वास को दूर करना तथा व्यक्ति के जीवन को धार्मिक नियंत्रण से मुक्त करना।

सहज सौन्दर्य की उपासना – सहज एवं सरल सौन्दर्य का महत्त्व बड गया। उदाहरण के तौर पर मोनालिसा।

पुनर्जागरण के महत्त्वपूर्ण तथ्य

पुनर्जागरण का प्रारंभ इटली के फ्लोरेंस नगर से माना जाता है।

इटली के महान कवि दांते (1260-1321ई.)को पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है। इनका जन्म फ्लोरेन्स नगर में हुआ था। दांते ने प्राचीन लैटिन भाषा को छोङकर तत्कालीन इटली की बोल-चाल की भाषा टस्कन में डिवाइन कॉमेडी नामक काव्य लिखा। इसमें दाँते ने स्वर्ग और नरक की एक काल्पनिक यात्रा का वर्णन किया है।

दाँते के बाद पुनर्जागरण की भावना को प्रश्रय देने वाला व्यक्ति पेट्रॉक (1304-1367 ई.) था। पेट्रॉक को मानववाद का संस्थापक माना जाता है। वह इटली का ही निवासी था।

इटालियन गद्य का जनक कहानीकार बोकेशियो (1313-1375ई.)को माना जाता है। कहानीकार बोकेशियो की डेकामेरॉन प्रसिद्ध पुस्तक है।

आधुनिक विश्व का प्रथम राजनीतिक चिन्तक फ्लोरेंस निवासी मैकियावली (1469 – 1567 ई.)को माना जाता है। मैकियावली की प्रसिद्ध पुस्तक है – द प्रिन्स जो राज्य का नवीन चित्र प्रस्तुत करती है। आधुनिक राजनीतिक दर्शन का जनक मैकियावली को कहा जाता है।

पुनर्जागरण की भावना की पूर्ण अभिव्यक्ति इटली के तीन कलाकारों की कृतियों में मिलती है। ये कलाकार थे – लियोनार्दो द विंची, माइकेल एंजेलो और रॉफेल। लियोनार्दो द विंची एक बहुमुखी प्रतिभासंपन्न व्यक्ति था। वह चित्रकार, मूर्तिकाल, इंजीनीयर, वैज्ञानिक, दार्शनिक, कवि और गायक था। लियोनार्दो द विंची की पुस्तक द लास्ट सपर और मोनालिसा नामक अमर चित्रों के रचयिता होने के कारण प्रसिद्ध हैं।

माइकल एंजेलो भी एक अद्भुत मूर्तिकार एवं चित्रकार था। द लास्ट जजमेंट एवं द फाल ऑफ मैन माइकल एंजेलो की कृतियाँ हैं। सिस्तान के गिरजाघर की छत में माइकल एंजेलो द्वारा ही चित्र बनाये गये हैं।

रॉफेल भी इटली का एक चित्रकार था। इसकी सर्वश्रेष्ठ कृति जीसस क्राइट की माता मेडोना का चित्र है।

पुनर्जागरण काल में चित्रकला का जनक जियाटो को माना जाता है।

पुनर्जागरण काल का सर्वश्रेष्ठ निबंधकार इंग्लैण्ड का फ्रांसिस बेकन था।

हॉलैण्ड के इरैस्मस ने अपनी पुस्तक द प्रेज ऑफ फौली में व्यंग्यात्मक ढंग से पादरियों के अनैतिक जीवन एवं ईसाई धर्म की कुरीतियों पर प्रहार किया है।

इंग्लैण्ड के लेखक टॉमस मूर ने अपनी पुस्तक यूटोपिया में आदर्श समाज का चित्र प्रस्तुत किया है।

मार्टिन लूथर ने जर्मन भाषा में बाइबिल का अनुवाद प्रस्तुत किया है।

रोमियो एण्ड जूलियट शेक्सपीयर (इंग्लैण्ड) री अमर कृति है।

पुनर्जागरण कालीन वास्तुकला की प्रसिद्ध कृतियाँ

सेन्ट पीटर्स का गिरजाघर – इटली में स्थित है।

फार्नीज का महल – रोम (इटली)में स्थित है।

लूब्रे का महल – पेरिस (फ्रांस)में स्थित है।

इस्कोरिया का महल – स्पेन में स्थित है।

हैंडलवर्ग का किला – जर्मनी में स्थित है।

सेंट पॉल का गिरजाघर – लंदन (इंग्लैण्ड)में स्थित है।

व्हाइट हॉल – लंदन में स्थित है।

दावत घर व्हाइट हॉल – लंदन में स्थित है।

सैंट मार्क का गिरजाघर – वेनिस में स्थित है।

चांसलर का राजमहल – रोम में स्थित है।

पुनर्जागरण काल की मूर्तिकला में प्रगति

  • इटली के प्रसिद्ध कलाकारों गिबर्टी तथा डोन्टेलो ने मूर्तिकला में नवीन शैली को जन्म दिया।
  • मूर्तिकला का सर्वाधिक विकास इटली के फ्लोरेन्स नगर में हुआ।
  • पुनर्जागरण युग के महान मूर्तिकार लिटोनार्डो द विंसी, माइकेल एंजेलो तथा रॉफेल आदि फ्लोरेन्स नग के ही निवासी थे। एंजेलो की मूर्तियों में शरीर का अंग-प्रत्यंग स्पष्ट रूप से झलकता है। डोटेलो की कृतियों में प्रकृति को अधिक महत्त्व दिया गया है। डोंटेलो द्वारा निर्मित सेन्ट मार्क की मूर्ति अत्यन्त ही सजीव एवं स्वाभाविक प्रतीत होती है। गिबर्टी द्वारा फ्लोरेन्स नगर के गिरिजाघरों में निर्मित अत्यन्त आकर्षक दरवाजों की तुलना एंजेलो ने स्वर्ग के दरवाजों से की।
  • इंग्लैण्ड में हेनरी-VII तथा फ्रांस में फ्रांसिस में नवीन मूर्ति कला शैलियों का प्रचार किया। स्पेन में इसावेला और फार्डिनेंड की समाधियाँ नवीन मूर्ति कला शैलियों के अनुपम उदाहरण हैं। धीरे-धीरे यह शैली संपूर्ण यूरोप में फैल गई।

पुनर्जागरण काल की प्रसिद्ध चित्रकारियाँ

  • लियोनार्दो द विंसी – मोनालिसा, द लास्ट सपर।
  • माइकेल एन्जेलो – द लास्ट जजमेन्ट, द फॉल ऑफ मैन।
  • रॉफेल – मातृत्व एवं वात्सल्य के चित्र (जीसस क्राइस्ट की माता मेडोना का चित्र इनकी सर्वश्रेष्ठ कृति है।)

इंग्लैण्ड के रोजर बेकन को आधुनिक प्रयोगात्मक विज्ञान का जन्मदाता माना जाता है। पृथ्वी सौरमंडल का केन्द्र है। इसका खंडन सर्वप्रथम पोलैण्ड निवासी कोपरनिकस ने किया। गैलीलियो (1560-1642 ई.)ने भी कोपरनिकस के सिद्धांत का समर्थन किया। जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक केपला या केपलर (1571-1630 ई.)ने गणित की सहायता से यह बताया कि ग्रह सूर्य के चारों ओर किस प्रकार घूमते हैं।

न्यूटन (1642-1726 ई.)ने गुरुत्वाकर्षण के नियम का पता लगाया।

धर्म सुधार आंदोलन की शुरुआत 16 वीं सदी में हुई। धर्म सुधार आंदोलन का प्रवर्तक मार्टिन लूथर था, जो जर्मनी का रहने वाला था। इसने बाइबिल का अनुवाद जर्मन भाषा में किया। धर्म सुधार आंदोलन की शुरुआत इंग्लैण्ड से हुई।

जॉन विकलिफ को धर्म सुधार आंदोलन का प्रातःकालीन तारा कहा जाता है। इसके अनुयायी लोलाडर्स कहलाते थे। अमेरिका बेरपुसी (इटली) के नाम पर अमेरिका का नाम पङा। प्रशान्त महासागर का नामकरण स्पेन निवासी मैगलन ने किया। समुद्री मार्ग से संपूर्ण विश्व का चक्कर लगाने वाला प्रथम व्यक्ति मैगलन था।

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