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रोमन साम्राज्य का इतिहास

रोमन साम्राज्य का इतिहास

प्राचीन रोम के निवासी एट्रस्कन जाति वंश के थे। रोमवासियों की भाषा लैटिन थी। रोम के प्राचीनतम निवासियों के वंशज पट्रिशियन कहलाते थे। रोम में गणतंत्र की स्थापना के बाद भी सीनेट ही अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली बना रहा।

रोम की सभ्यता

प्राचीन रोम एक शक्तिशाली एवं महत्त्वपूर्ण सभ्यता थी, जिसने लगभग 1,000 वर्षों तक यूरोप के अधिकांश हिस्सों पर अपना राज किया। यहां की राजधानी इटली का रोम शहर थी। जिसके नाम इस सभ्यता का नाम पङा। आज भी पश्चिमी जगत के बङे हिस्से पर रोमन संस्कृति की झलक आसानी से देखी जा सकती है।

रोम प्रथम गणराज्य के तौर पर स्थापित हुआ था। रोमन गणराज्य के नेता जैसे की सीनेटर कुछ समय के लिये चुने जाते थे। यहां पर राजा महाराजाओं का निरंकुश शासन नहीं था। गणराज्य की सरकार काफी जटिल थी, जो लिखित संविधान तथा कानून के अनुसार चलती थी। सरकार के विभिन्न अंगों के बीच शक्तियों का संतुलन था। सरकार का यही स्वरूप लोकतांत्रिक प्रणाली का आधार वर्तमान में बना।

रोमन गणराज्य 464 सालों तक 509 ई. पू. से लेकर 45 ई. पू. तक चला। 45 ई. पू. में जूलियस सीजर ने रोम गणराज्य की सभी शक्तियों पर अपना अधिकार कर लिया था तथा स्वयं को रोम का तानाशाह घोषित कर दिया था। इसके बाद 27 ई.पू. में सीजर का उत्तराधिकारी ऑगस्टस रोम साम्राज्य का प्रथम शासक बना। इसके साथ ही रोमन साम्राज्य की शुरुआत हो गयी। इसकी सरकार भी गणराज्य की तरह ही थी। लेकिन सर्वोच्च शक्तियों का मालिक सम्राट था।

27 ई.पू. में रोमन साम्राज्य का युग शुरू हुआ। धिरे-धिरे इसकी शक्ति बढकर एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका में फैल गयी। यह एक विशाल साम्राज्य बन गया। इसने भूमध्यसागर को अपने अधिकार में ले लिया।

रोमन साम्राज्य का विस्तार

रोम का विस्तार दक्षिणी यूरोप के अलावा उत्तरी अफ्रिका और अनाटोलिया के क्षेत्र तक था। इस वजह से इसका प्रशासन अकेली राजधानी रोम से चला पाना कठिन था। इसलिये रोम साम्राज्य को दो भागों में बाँटा गया – पश्चिमी रोमन साम्राज्य (इसका प्रशासन इटली के रोम से चलाया जाता था) तथा पूर्वी रोमन साम्राज्य (इसकी राजधानी तुर्की का कोन्टोटोनिन शहर था)पूर्वी साम्राज्य को बाइजेन्टाइन-के नाम से भी जाना जाता था।

फारसी साम्राज्य रोम साम्राज्य का प्रतिद्वंदी था, जो फुरात नदी के पूर्व में स्थित था।

रोम विश्व के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। पाँचवी सदी के अन्त तक इस साम्राज्य का पतन हो गया था।

जब पश्चिमी रोमन साम्राज्य गिर गया तो रोम का पतन मान लिया गया। इस साम्राज्य का अंत 476 ई. में हुआ। लेकिन पूर्वी रोमन साम्राज्य अगले 1000 वर्षों तक चला। तथा पूर्वी रोमन साम्राज्य का अंत 1453 ई. में हुआ।

वर्तमान रोम शहर वहीं पर स्थित है, जहां पर प्राचीन रोम शहर स्थापित था।

पश्चिमी रोम साम्राज्य के अंत को ही यूरोप में अंधकार के युग की शुरूआत माना जाता है। रोमन गणराज्य में सबसे बङी पद्दति कॅान्सिल होती थी। एक समय में दो कोन्सिल होते थे, ताकि कोई भी तानाशाह न बन सके। यहां के लोगों की भाषा लैटिन थी।

चर्च और ईसाई मत की शक्ति की रक्षा एवं विस्तार के लिये रोम केवल सिद्धांत तक ही सीमित था और इसीलिये इसे पवित्र रोमन साम्राज्य कहते थे। मध्ययुगीन पश्चिमी साम्राज्य न तो प्राचीन रोमन साम्राज्य जैसा था, न ही उसका वह पुराना सिलसिला था। वह एक नया साम्राज्य जैसा था, जिसका केवल नाम ही उस प्रकार का था। पोप लियो तृतीय ने 800 ई. में चर्लीमेग्ने(शार्लमा) का रोमन सम्राट के रूप में राज्याभिषेक किया था। बाद में जॉन बारहवें ने जर्मन ऑटो महान का पवित्र रोमन सम्राट के रूप में राज्याभिषेक किया।

रोमन साम्राज्य रोमन गणतंत्र का परवर्ती था। ऑक्टेवियन ने जूलियस सीजर की सभी संतानों को मार दिया तथा इसके अलावा उसने मार्क एन्टोनी को भी हराया था, जिसके बाद मार्क ने खुदकुशी कर ली। इसके बाद ऑक्टेवियन को रोमन सीनेट ने ऑगस्टस का नाम दिया। वह ऑगस्टस सीजर के नाम से सत्तारूढ़ हुआ। इसके बाद सीजर नाम एक पारिवारिक उपनाम से बढ़कर एक पदवी स्वरूप नाम बन गया। इससे निकले शब्द जार (रूस में) और कैजर (जर्मन और तुर्क) आज भी विद्यमान हैं।

ऑगस्टस के बाद टाइबेरियस सत्तारूढ़ हुआ। उसका शासन शांतिपूर्ण रहा। इसके बाद कैलिगुला आया परिवार का एक मात्र वारिस क्लाउडियस शासक बना। सन् 43 में उसने ब्रिटेन  को रोमन उपनिवेश बना दिया। इसके बाद नीरो का शासन आया जिसने सन 58-63 के बीच पार्थियनों (फारसी साम्राज्य) के साथ सफलता पूर्वक शांति समझौता कर लिया। वह रोम में लगी एक आग के कारण प्रसिद्ध है।

कहा जाता है कि सन् 64 में जब रोम आग में जल रहा था तो वह बंशी बजाने में व्यस्त था। सन् 68 में उसे आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा। सन् 68-69 तक रोम में अराजकता छाई रही और गृहयुद्ध हुए। सन् 69-96 तक फ्लाव वंश का शासन आया। पहले शासक वेस्पेसियन ने स्पेन में कई सुधार कार्यक्रम चलाए। उसने कोलोसियम के निर्माण की आधारशिला भी रखी।

सन् 96-180 के काल को पाँच अच्छे सम्राटों का काल कहा जाता है। इस समय के राजाओं ने साम्राज्य में शांतिपूर्ण ढंग से शासन किया। पूर्व में पार्थियन साम्राज्य से भी शांतिपूर्ण सम्बन्ध रहे।फारसियों से अर्मेनिया तथा मेसोपोटामिया में उनके युद्ध हुए पर उनकी विजय और शांति समझौतों से साम्राज्य का विस्तार बना रहा। सन् 180 में कॉमोडोस जो मार्कस ऑरेलियस का बेटा था, शासक बना। उसका शासन पहले तो शांतिपूर्ण रहा पर बाद में उसके खिलाफ विद्रोह और हत्या के प्रयत्न हुए।

सेरेवन वंश के समय रोम के सभी प्रांतवासियों को रोमन नागरिकता दे दी गई। सन् 235 तक यह वंश समाप्त हो गया। इसके बाद रोम के इतिहास में संकट का काल आया। पूरब में फारसी साम्राज्य शक्तिशाली होता जा रहा था। साम्राज्य के अन्दर भी गृहयुद्ध की सी स्थिति आ गई थी। सन् 305 में कॉन्स्टेंटाइन का शासन आया। इसी वंश के शासनकाल में रोमन साम्राज्य विभाजित हो गया। सन् 360 में इस साम्राज्य के पतन के बाद साम्राज्य धीरे धीरे कमजोर होता गया। 5वीं शता. तक रोम साम्राज्य का पतन होने लगा और पूर्वी रोमन साम्राज्य पूर्व में सन् 1453 तक बना रहा।

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