स्कंदगुप्त का शासन-प्रबंध कैसा था
स्कंदगुप्त न केवल एक वीर योद्धा ही था, अपितु वह एक कुशल शासक भी था। अभिलेखों से उसकी शासन-व्यवस्था के विषय में कुछ महत्त्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त होती है। उसका विशाल साम्राज्य प्रांतों में विभाजित था। प्रांत को देश, अवनी अथवा विषय कहा जाता था।
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प्रांत पर शासन करने वाले राज्यपाल को गोप्ता कहा गया है। पर्णदत्त सुराष्ट्र प्रांत का राज्यपाल था। वह स्कंदगुप्त के पदाधिकारियों में सर्वाधिक योग्य था और उसकी नियुक्त स्कंदगुप्त ने खूब सोच-समझकर करी थी। ऐसा प्रतीत होता है,कि सुराष्ट्र के ऊपर हूणों के आक्रमण का डर था। इसी कारण स्कंदगुप्त ने अपने सबसे योग्य तथा विश्वासपात्र अधिकारी को वहाँ का राज्यपाल नियुक्त किया था।
सर्वनाग अन्तर्वेदी (गंगा – यमुना के बीच का दोआब) का शासक था। कौशांबी में उसका राज्यपाल भीमवर्मन था,जिसका उल्लेख वहाँ से प्राप्त एक प्रस्तर मूर्ति में मिलता है। प्रमुख नगरों का शासन चलाने के लिये नगरप्रमुख नियुक्त किये जाते थे। सुराष्ट्र की राजधानी गिरनार का प्रशासक चक्रपालित था,जो पर्णदत्त का पुत्र था।
स्कंदगुप्त का शासन बङा ही उदार था। उसके शासन में प्रजा पूर्णरुपेण सुखी एवं समृद्ध थी। किसी को कोई कष्ट नहीं था।तभी तो जूनागढ अभिलेख का कथन है,कि जिस समय वह शासन कर रहा था, उसकी प्रजा में कोई ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था, जो धर्मच्युत हो अथवा दुःखी, दरिद्र, आपत्तिग्रस्त, लोभी या दंडनीय होने के कारण अत्यंत सताया गया हो।
Reference : https://www.indiaolddays.com