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प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल थानेश्वर

हरियाणा राज्य के करनाल जनपद के अन्तर्गत वर्तमान थानेसर नामक स्थान ही प्राचीन काल का थानेश्वर था। इसके नाम स्थानेश्वर तथा स्थाण्वीश्वर भी मिलते है। वर्धन वंश के प्रथम शक्तिशाली सम्राट प्रभाकरवर्धन ने इस स्थान को अपनी राजधानी बनाया था। बाणभट्ट के हर्षचरित में इस नगर के गौरव का विस्तृत विवरण प्राप्त होता है। इसे श्रीकंठ जनपद का प्रमुख स्थल बताया गया है। यह एक समृद्धशाली नगर था। ‘इसके सौदर्य को देखने से ऐसा लगता था मानों यह स्वर्ग का एक देश हो(एक देश इव सुरराज्यस्य)। दर्शक इसे देखकर आश्चर्यचकित हो जाते थे। यह कुबेर की नगरी अलका का परिवर्तित रूप प्रतीत होता था।’

बाण के विवरण की पुष्टि करते हुए हर्षकालीन चीनी यात्री हुएनसांग इसे एक सम्पन्न नगर बताया है।

अल्बेरूनी के विवरण से पता चलता है कि कुरूक्षेत्र के समीप स्थित होने के कारण इस नगर का धार्मिक महत्व अधिक बढ़ा हुआ था। ऐसा लगता है कि थानेश्वर के शैव धर्म का प्रसिद्ध केन्द्र होने के कारण ही इसका नाम ‘स्थाण्वीश्वर’ पड़ गया।

हर्षचरित में वर्णन मिलता है कि इस नगर के घर-2 में शिव की पूजा की जाती थी- गृहे-2 अपूज्यत भगवान खण्डपरशुः।
हर्ष वर्धन के शासन काल के प्रारम्भ में थानेश्वर ही साम्राज्य की राजधानी रही। बाद में हर्ष ने इसे कन्नौज स्थानान्तरित कर दिया।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
2. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास, लेखक-  वी.डी.महाजन 

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