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चोलकालीन साहित्य की जानकारी

चोल राजाओं का शासनकाल तमिल भाषा एवं साहित्य के विकास के लिये प्रसिद्ध है। तमिल लेखकों में सर्वाधिक प्रसिद्ध जयन्गोन्दार था। वह चोल शासक कुलोत्तुंग प्रथम का राजकवि था और उसने कलिंगत्तुपणि नामक ग्रंथ की रचना की। इसमें कुलोत्तुंग के कलिंग रामायण अथवा रामावतारम् की रचना की।यह तमिल साहित्य का महाकाव्य है। इसकी कथा वाल्मीकि रामायण की कथा से मिलती-जुलती है।

अन्य ग्रंथों में शेक्किल्लार का पेरियपुराणम्, पुलगेन्दि का नलवेम्ब, तिरुक्तदेवर का जीवक चिन्तामणि, तोलामोल्लि का शूलामणि आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। चोल शासकों ने अमृतसागर तथा बुद्धमित्र जैसे प्रसिद्ध जैन तथा बौद्ध विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया था। अमृतसागर ने याप्परुंगलम् तथा याप्परुंगलक्कारिगै नामक दो प्रमाणिक ग्रंथ छंदशास्त्र पर लिखा। बुद्धमित्र की प्रमुख कृति वीर-शोल्लियम् है। वह चोल शासक वीरराजेन्द्र को महान तमिल विद्वान बताता है।

चोल काल में वैष्णव लेखकों ने अपने ग्रंथ संस्कृत में लिखे। ऐसे लेखकों में नाथमुनि, यमुनाचार्य तथा रामानुज के नाम विशेष रूप से अल्लेखनीय हैं।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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