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गुप्तकालीन कला और स्थापत्य कला

गुप्त काल में संपूर्ण उत्तर भारत में हमें अद्भुत कलात्मकता दिखाई देती है। कला की विविध विधाओं जैसे- वास्तु, स्थापत्य, चित्रकला, मृदभांड कला आदि इस युग में विकसित हुई। धर्म एवं कला का समन्वय स्थापित हुआ तथा कला पर से विदेशी प्रभाव क्रमशः समाप्त हो गया।

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वास्तु-कला – मंदिर

गुप्तयुगीन वास्तुकला के सर्वोत्तम उदाहरण मंदिर है। वस्तुतः मंदिर के अवशेष हमें इसी काल से मिलने लगे हैं। गुप्तकालीन मन्दिरों की कुछ सामान्य विशेषतायें हैं जो इस प्रकार हैं- …अधिक जानकारी

स्तूप तथा गुहा-स्थापत्य

स्तूप का शाब्दिक अर्थ “ढेर” होता है। यह एक गोल टीले के आकार की संरचना है जिसका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है। गुप्त काल में ऐसे स्तूपों का विकास काफी किया गया था। …अधिक जानकारी

मूर्तिकला

वास्तु कला के समान ही मूर्तिकला का भी गुप्तकाल में अत्यधिक विकास हुआ। गुप्त सम्राटों के संरक्षण में भागवत धर्म का पूर्ण विकास हुआ तथा उनकी सहिष्णुता की नीति ने अन्य धर्मों एवं संप्रदायों को फलने-फूलने का अवसर प्रदान किया। परिणामस्वरूप इस काल में विष्णु, शिव, सूर्य, गणेश, स्कंद, कुबेर, लक्ष्मी, पार्वती, दुर्गा, सप्तमातृकायें आदि विभिन्न हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के साथ-साथ बुद्ध, बोधिसत्व एवं जैन तीर्थंकरों की मूर्तियों का भी निर्माण किया गया। …अधिक जानकारी

मृण्मूर्तिकला

गुप्तकाल में मृदभांड कला की प्रगति हुई। इस काल के कुंभकारों ने पकी हुई मिट्टी की छोटी-२ मूर्तियाँ बनायी। इनमें चिकनाहट और सुडौलता पाई जाती है। विष्णु, कार्तिकेय, दुर्गा, गंगा, यमुना आदि देवी-देवताओं की बहुसंख्यक मृण्मूर्तियाँ पहाङपुर, राजघाट, भीटा, कौशांबी, श्रावस्ती पवैया, अहिच्छत्र, मथुरा आदि स्थानों से प्राप्त हुई हैं। धार्मिक मूर्तियों के साथ-२ इन स्थानों से अनेक लौकिक मूर्तियाँ भी मिलती हैं। …अधिक जानकारी

अजंता की चित्रकला

गुप्तकाल तक आते-२ चित्रकारों ने अपनी कला को पर्याप्त रूप से विकसित कर लिया। इस युग की चित्रकला के इतिहास प्रसिद्ध उदाहरण आधुनिक महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद जिले में स्थित अजंता तथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर के समीप स्थित बाघ नामक पर्वत गुफाओं से प्राप्त होते हैं। इनमें भी अजंता की गुफाओं के चित्र समस्त विश्व में प्रसिद्ध है …अधिक जानकारी

बाघ गुफा की चित्रकला

बाघ की गुफायें विन्ध्य पहाङियों को काटकर बनाई गयी हैं। सर्वप्रथम 1818 ईस्वी में इनका पता डेंजर फील्ड ने लगाया था। इन गुफाओं की संख्या 9 है, जिनमें चौथी-पांचवी गुफाओं के भित्ति-चित्र सबसे अधिक सुरक्षित अवस्था में हैं। ये चित्र अजंता के चित्रों से इस अर्थ में भिन्न हैं, कि इनका विषय धार्मिक न होकर लौकिक जीवन से संबंधित है। …अधिक जानकारी

Reference : https://www.indiaolddays.com

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