इतिहासप्राचीन भारतवर्द्धन वंशहर्षवर्धन

हर्षवर्धन द्वारा रचित ग्रंथों के नाम

हर्ष केवल विजेता और प्रशासक ही नहीं, किन्तु विद्वान भी था। हर्ष की काव्यात्मक कुशलता, मौलिकता और विस्तृत ज्ञान के लिये बाण ने उसे श्रद्धांनजलि अर्पित की है। इत्सिंग भी बाताता है, कि हर्ष एक साहित्यिक व्यक्ति था। अपने दरबारियों की काव्यात्मक रचनाओं के लिये भी वह उत्तरदायी था।

हर्ष का प्रारंभिक जीवन

हर्ष के समय में शिक्षा एवं साहित्य

इत्सिंग बताता है, कि बुद्ध के पिछलों जन्मों से संबंधित पाँच सौ कविताएं राजा (हर्ष)को अर्पित की गयी और वे जातकमाला के नाम से प्रसिद्ध हुई।

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इत्सिंग बताता है, कि बोधिसत्त्व जीमूत वाहन की कथा को हर्ष ने कविता बद्ध किया। जयदेव ने अपनी कृति गीत गोविन्दम में कहा है, कि कालिदास और भास की भाँति हर्ष भी महाकवि था।

हर्ष को संस्कृत के तीन नाटक ग्रंथों का रचयिता माना जाता है, वो तीन ग्रंथ निम्नलिखित हैं-

  1. प्रियदर्शिका,
  2. रत्नावली,
  3. नागानंद
References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
2. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास, लेखक-  वी.डी.महाजन 

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