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राजस्थान रा प्रमुख लोक देवता तेजाजी

राजस्थान रा प्रमुख लोक देवता तेजाजी

राजस्थान रै हर जिले मांय लगभग हरैक गांव रै मांय अेक चबूतरो बण्योङो है, जठै एक पत्थर माथे
बणायोङी अेक तसवीर है, जिकी मांय अेक घुङसवार उकेरोङो व्है अर अेक सांप व्है। गांव मांय जै किणी नै सांप काट लेवे तद गांव वाळा उणनै ईं चबूतरे माथै ले जावै।

फैर गांव रा भोपा ढोल-नगाङा बजावतां आवै। गऊ मूत अर गोबर री राख सूं भरयोङी अेक कर्ढाइ ल्यावै। भोपा गऊ मूत सूं कुरळो कर’र राख आपरै होठां माथै लगाय लेवै अर जठै सांप काटयोङो व्है उण जागां नै चूसणो सरू कर’र सांप रै जहर नै चंस-चंस’र काढ दैवै। उण बखत भोपे रै मांय तेजाजी री आत्मा आय जावै अर तेजाजी ही उणनै ठीक कर देवै। इण चबूतरे नै तेजाजी थान कैवीजे।

तेजाजी रो जलम


मारवाङ रै जाटां रौ इतिहास’ मांय भाट छोटू जी री बही रै मुजब नागौर जिले रै खरना (अबै खरनाळ) गांव रै ताहङ जाट रै घरां विक्रमी 1130 री माघ सुदी चैदस नै तेजाजी रो जलम हुयौ। इणा री माताजी रौ नांव राजकंवर बतायौ गयौ है। अे नागवंसी जाट हा। नागवंसी जाटां मांय दो गोत हुया करै ‘धौळया’ अर ‘काळा’, तेजाजी रौ गोत धौळ्या बतायौ गयौ है।

उण बखत री परम्परावां मुजब बाळक तेजा री पढाई सरू हुई जिणमें अस्त्र-सस्त्र चलावणो महताऊ
हो। तेजाजी मांय बाळपण सूं ही दो बातां री ललक ही – अेक तो अस्त्र-सस्त्र मांय महारत हासिल करणी अर दूसरी इस्वर री अराधना करणी।

अेकानीं वै जनमानस नै दुखी करण वाळा आतताईयां रौ नास करता, दूजी कानीं लोगां रा संकट अर रोग दूर करण सारू भांत भांत री जङी बूंट्या री खोज करता अर वांरौ इलाज करता। सोसित अर पीङित री सेवा करण नै इ वै सांची पूजा मानता हा। इण तरै तेजाजी मांय वीरता अर पराक्रम रै सागै दया, प्रेम, भगती अर परहित री भावना चेतन ही

तेजाजी रो ब्याव

उण बखत री परम्परावां मुजब तेजाजी रौ ब्यांव भी बाळपण में ही अजमेर जिले रै पनेर गांव रै रायमल
जाट री बेटी पेमल सूं हुयग्यौ। तेजाजी बचपन सूं ही लोक कल्याण रै कामां मांय उळझयौङा रैंवता हा, इण कारण बखत माथै उणारो ‘गौणे’ कानीं ध्यान इ ’ज नीं गयौ।

तेजाजी रै घरवाळा रौ उणा रै सासरै वाळा सूं मनमुटाव भी हुयग्यौ हो जिण कारण घरवाळा भी गौणे खातर जोर कोनी दीयौ। बाद में भौजाई रै ताना मारण सूं तेजाजी नै घरवाळी रै खातर आपरी जिम्मेदारी रौ ग्यान हुयौ अर बै ‘गौणो’ करावण खातर आपरै सासरै जावण नै व्हीर हुया। व्हीर हुवण सूं पैली कैई अपसकुन हुया, पण तेजाजी उण तरफ
ध्यान नीं दीयौ।

तेजाजी रै आपरै सासरै जावण रै मारग मांय आयी बाधावां बाबत इतिहासकारां मांय विचार भेद है

  • कईयां रौ मानणौ है’ कै मारग मांय अेक अधबळ्यौ सांप दीस्यौ जिकै ने तेजाजी बचायौ पण इणसूं बो सांप नाराज हुग्यौ अर तेजाजी नै काटणो चायौ, पण तेजाजी उण सांप नै कैयो’कै म्हूं म्हारै सासरै जाय रैयौ हूं घरवाळी नै लावण खातर, पाछौ आंवती बखत थूं म्हंनै डस लीजै।
  • दूजै इतिहासकारां रौ मानणौ है’कै ‘काळा’ नागवंस रो बालू जाट तेजाजी सूं सत्रुता राखतो हो, जद उणनै ठा पङी कै तेजाजी आपरी परणेतर नै लेवण सारू पनेर जाय रैया है अर उणां सागै कम सिपाई हैं, तो बो मारग मांय आ’र तेजाजी नै ललकारयौ। तेजाडी उणां नै कैयो’कै अबार तो म्हूं म्हारै सासरै जाय रैयो हूं पाछो आंवती वेळा थांसू जुध करसूं। सासरै वाळा रौ तेजाजी रै परिवारवाळा सूं मनमुटाव हुय चुक्यौ हो इण कारण वै तेजाजी रो घणौ मान नीं करयौ, जिणसू तेजाजी वठै सूं पाछा व्हीर हुवण लाग्या। तेजाजी री घरवाळी पेमल भी उणां रै सागै हुयगी।
  • इण बिचाळै पनेर गांव री गूजरी लांछा रोंवती-रोंवती तेजाजी कनै आयी अर बोली कै म्हारी गायां नै लुटेरा घेर लेयग्या है अर गांव मांय कोई बी म्हारी मदद करण सारू त्यार कोनी। तद तेजाजी अर वांरी घरवाळी लांछा गूजरी रै घरां गया, पेमल नै वठै छोड’र तेजाजी लुटेरां रै लारै गया। जुध कर’र तेजाजी सगळी गायां नै छोडा’र ले आया। इण जुध मांय तेजाजी घायल हुयग्या पण वै पनेर रूक्या नहीं अर पेमल नै ले’र घरां कानी रवाना हुयग्या।
  • लोकधारणा मुजब मारग मांय बालू जाट आपरी फौज सागै खङौ वांनै उडीकतो हो। तेजाजी भी उणनै दीयौङे वचन री खातर बालू नै जुध सारू ललकारयो। जुध हुयौ, तेजाजी पैला र्सूं इ घायल हा, इण कारण घणी देर ताईं बालू रौ मुकाबलो नीं कर सक्या अर वीरगति पाई। आ देख वांरी घरवाळी पेमल नै रीस आयगी अर वा रणचण्डी बण’र बालू माथै टूट पङी अर बालू नै मार गिरायौ।
  • दूजी लोक कथा मुजब मारग मांय बो सांप तेजाजी नै अडीक रैयो हो जिकै नै तेजाजी बळण सूं बचायौ हौ। तेजाजी उण सांप नै कैयो’कै म्हूं आयग्यौ हूं अबै म्हनै डस ले। सांप उणा नै कैयौ’कै थारी देह पर तो जख्म हुयौङा है म्हूं कठै काटू। तद तेजाजी आपरी जीभ बारै निकाळ’र कैयौ कै अठै डस लेवो। जद सांप वांनै जीभ माथै काट लियौ अर तेजाजी वीरगति पायग्या। उणा री वचन निभावण री बात सूं प्रभावित हूय ’र नागराज उणां नै वरदान दीयौ कै थांरै नांव री तांती जिकौ मिनख धारण करैला उणनै नाग विस रौ असर नीं हुवैला।

गऊ माता री रिक्षा करण सारू अर आपरै दियौङे वचन नै निभावण सारू तेजाजी आपरौ जीवण बळिदान कर दियौ अर इणी कारण वै लोगां री निजरां मांय लोक देवता रै रूप में पूजीजण लाग्या।
जिकी जागां माथै तेजाजी वीरगति पायी बा आज पूजीजै। कैई विद्वान इ जगां रौ नांव ‘पनेर’ बतावै, कैई
‘उकलाना’ गांव, कैई ‘सैदरिया’ बतावै अर कैई ‘सुरसरा’।

घणखरां इतिहासकार आपरी कथावां अर गीतां मांय सुरसरा रो ही नांव लियौ है, इण कारण ‘सुरसरा’ नै ही तेजाजी रो वीरगति पावण री जगां मान्यौ जावै इणी कारण ‘सैदरिया’ अर ‘सुरसरा’ मांय जिका तेजाजी रा थान है, वठै ही हरैक बरस भादवे सुदी दसम नै मेळौ भरीजे अर दूर दूर सूं लोग तेजाजी रा दरसण करण नै आवै, मनोतियां मांगै अर परसादी बांटे।
गऊ रिक्षा रौ संकळप, वचन निभावण री सगती, प्रेम, भाइचारै अर सदभाव री धार बै वावण री बातां रै
कारण ही तेजाजी नै लोक देवता रौ मान मिळयौ अर आज भी जनता लोगबाग घणां मान सूं वांनै ध्यावै अर पूजै है।

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