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राजस्थान री लोक देवी आई माता

राजस्थान री लोक देवी आई माता

आई माता नवदुर्गा यानि देवी रौ अवतार मानीजै। आइ माता मिनख जूण मांय जीजीबाई रै नांव सूं बीका नांव रै डाबी राजपूत रै घरां जलम लियौ। इणां रौ जलम काल विक्रमी संवत 1472 रै आसे-पासे मानीजै है। जीजीबाई जलम र्सूं इ देवी रा भगत हा अर अणूता फूटरा हा।

वांरै रूप री चरचा सुण’र मांडू रौ बादसा महमूद खिलजी बीका डाबी नै बुलाय’र जीजी बाई रौ ब्याव उण सूं करण वास्तै कैयो अर धमकायौ कै राजीखुसी न्हीं करैला तो म्हूं वांनै उठा’र ले आवूंला। चिंता में पङ्यौ बीको डाबी घरां आयौ अर सगळी बात बताई तो जीजी बाई बोल्या, थे चिंता मत करौ, उण पापी नै म्हूं अपणे आप समझाय देसूं।

वै आपरै बाप नै कैयो कै थे पाछा बादसा कनै जाओ अर उणनै कैवो कै म्हैं म्हारी बेटी रौ ब्याव थारै सागे हिन्दू रीत रै अनुसार करूंला, अर थांनै
बरात लेय’र म्हारै गांव में आणो पङसी। वां कैयो कै जो बो आपांनै गरीब समझ कीं देणो चावै तो आप मना कर
दीजौ।

बीको डाबी जाय’र बादसा नै आ बात बताय दी। ब्याव री हुळक मांय हुळस्यौङो बादसा बात मान ली अर बरात लेय’र अंबापुर पूगग्यौ। जीजीबाई रै कैयां बीको डाबी बादसा री बरात नै तळाब रै किनारै ठैराय’र कुंवारै भात रौ न्यूंतो दियौ। जीजीबाई अेक छोटी सी झोंपङी मांय बैठा बरात री खातरदारी सारू परबंध कर रैया हा।

बादसा रा आदमी आंवता अर जीमण रौ सामान लेय’र पूठा जांवता परा। बादसा हैरान हुयग्यौ कै अेक गरीब राजपूत कनै इतौ सामान कठै सूं आयौ। बो समझग्यौ कै ओ तो कोई देवी चमत्कार इ’ज है। आ सोच’र बो खुद झोंपङी कनै पूग्यौ। जीजीबाई उणनै समझावण सारू झोंपङी सूं बारै निकळया जद बादसा नै यूं लाग्यौ कै कोई सिंह सामै ऊभो है अर बौ डरग्यौ।

बादसा अेकदम हाथ जोङ दिया अर कैयौ कै माताजी म्हांसू गळती हुयगी, म्हूं थानै पिछाणग्यौ हूं म्हनै माफ कर दो। बादसा री अरदास सुण’र जीजीबाई उणनै छोङ दियौ अर हिन्दुवां माथै थोप्योङा कैई कर अर लगान हटवा दिया। जीजीबाई जद तांईं अंबापुर रैया हा, बादसा रोज वांरा दरसण करण सारू आंवतौ अर सदा इ जोत रो समान भेजावंतो।

थोङे बखत मांय जीजीबाई रै चमत्कार अर बादसा री सेवा री चरचा च्यारूंमेर फैलगी अर घणी जनता उणां रा दरसण करण सारू आवंण लागी। आपरी तपस्या मांय विघन पङतो देख’र जीजीबाई अंबापुर छोडण रौ निरणै करयौ अर आपरै मां-बाप सागै मेवाङ रै गांव नारलाई आयग्या। कई दिन अठै रेय’र पछै वै डायलाणै गांव आया अर डायलाणे सूं सोजत आया।

सोजत मांय वां रा दरसण करण सारू राणा कुंभा रौ बेटौ रायमल आयौ जिकै नै देस निकाळौ मिळयोङो हौ। देवी वां नै आसीरवाद दियौ कै भविस में मेवाङ री राजगदी माथै बैठैला। क्यूं’कै देवी माता गुजरात सूं मेवाङ आया हा इण कारण लोग वांनै जीजीबाई री आई मां कैवण लाग्या अर इणी कारण उणां रौ नांव आइ माता मानीज्यौ।

विक्रमी संवत 1521 मांय आइ माता बिलाङा गांव पधारया। बिलाङा रौ राजकाज उण बखत राव जोधा रौ बेटो भारमल देख रैयौ हौ। देवी माता उण बखत तांई घणी उमर ले ली ही इण कारण वै बिलाङा मांय ही बसण सारू निरणै करयौ अर वठै बै बिला सीरवी री ढाणी मांय रैवण लागा। भारमल रै कामदार जाणौजी रै बेटे माधवदास नै माताजी डोरो बांध्यौ अर आपरौ खास चेला बणायौ अर बाकी सगळां नै कैयो कै माधव थांरो प्रधान है अर थै सगळा इं’री आग्या मानौला।

माधवदास जीवण भर माताजी री सेवा करी। उणां रै देवलोकगमन हुयां पाछे वांरै बेटे गोविन्ददास नै माताजी आपरौ प्रधान चेला बणायौ। गोविंददास नै ओ पद विक्रमी संवत 1557 री माघ सुदी दूज नै मिळयौ इण कारण आज भी सीरवी समाज अर डोराबंध लोग इण दिन नै बडे उच्छब सूं मनावै।

विक्रमी संवत 1561 मांय आइ माता आपरै सगळा भगता अर चेलां नै भेळा करया कर कैयौ कै अब म्हारै पाछौ जावण रौ बखत आयग्यौ है अर अब म्हारी जोत गोविन्ददास मांय प्रकटसी। आ बात कैय’र माताजी गोविन्ददास नै आपरै थान कांनी लेयग्या अर वांनै वचन सिधि री सगती दीनी अर गुप्त योग री सीख दीवी।

पछै आपरै थान रा फाटक बंद कर लिया अर गोविन्ददास सागै सात दिनां तांई बंद रैया। सातवें दिन फाटक खुल्यौ तद लोगां नै अेक तेज उजास दीसी अर बीं मांय सूं गोविन्ददासजी निकळ्या। सगळा जणां उणां रै पगां मां पङ्ग्या। गोविन्ददासजी सगळा नै माताजी रा हुकम री जाणकारी कराई ।

आई माता रौ सैंसूं चावौ स्थान बिलाङा इ’ज है। अठै वांरौ अेक मिंदर बणयौङौ है अर आज भी बिलाड़े मांय इणा री गादी अर दीयै री अखंड जोत रा दरसण करण सारू हजारूं मिनख आवै। अठै रा पुजारी दीवाण कहीजै अर इणां रा अनुयायी आई पंथ’ रा ‘डोरा बंद’ मानीजैर्। आइ पंथी दारू-मांस रौ भोग नीं करै अर मरया पछे धरती मांय गाडीजै। इण कारण सीरवी लोग आइ जी रै मिंदर नै दरगाह भी कैवे।

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