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जोधपुर री थापना कुण करी

जोधपुर री थापना कुण करी


राव जोधा अेकर करणीजी रा दरसण करण सारू आया अर उणां नै बतायौ कै किण तरै राव रिङमल
चितौङ में आपरै भाणजा रौ राज हजम करण चाल्या है अर इण सारू किण-किण तरैरा पङपंच कर रैया है।


करणीजी राव जोधा नै करणी गांव मांय इ बसणे रौ आदेस दियौ अर कैयो कै जद ताईं म्हूं नहीं कैऊं मंडोवर
(मंडोर) माथै हमलो नीं करणौ है। राव जोधा 12 बरसां ताईं करणी गांव मांय रैया। बाद करणीजी अेक दिन राव
जोधा नै देसनोक बुलायौ अर मंडोवर माथै हमलो करण रौ कैयो।

राव जोधा आदेस मान’र इण सारू रवाना हुयगौ। करणीजी री किरपा सूं मारग रा सगळा सरदार, जागीरदार अर डेरेवाळा उणां रा संगी बणता गया अर
वां री फौज मांय मिळग्या। करणीजी रे आसीरवाद सूं विक्रमी संवत 1510 मांय राव जोधा अजमेर, मेङता, मंडोवर
इत्याद माथे फतेह करी अर आपरो राजकाज सरू करयौ। विक्रमी संवत 1515 री बैसाख सुदी पांचम नै उणां
रै मन में आपरै नांव सूं नगर बणावण रो बिचार आयौ।

मंडोर सूं पांच किलोमीटर दूर अेक पहाङी सूं झरनो बैयाकरतौ जिकैरो पाणी मीठौ हौ। राव जोधा इण झरणे रै कनैइ आपरौ किलो बणावण री सोची। इण सारू जदबै बठै पूग्या तो उणां नै अेक योगी चिङियानाथ मिळयौ जिको रावजी नै बतायौ कै आ जागां तो म्हारी तपोभूमि
है, अर अठै किलो नहीं बणायो जाय, पण राव जोधा नीं मान्या अर आपरी बात माथै अङयोङा रैया। इण बात सूं
नाराज हुय’र बौ योगी सराप दियौ कै जे अठै किलो बणायौ गयौ तो ओ झरणो सूख जावैला अर अठै रा रैवण
वाळा तिसा मरैला। ओ सराप सुण’र राव जोधा दुखी व्हैगा।

उणां बाद मांय निरणै लियौ कै किले री नींव करणीजी रै हाथां सूं रखवावां जिकै सूं योगी रौ सराप असरदार नीं व्है। इण बात रौ निरणै हुवण रै बाद रावजोधा करणीजी नै किले री नींव राखण सारू आवण रौ न्यूंतौ भिजवायौ जिको माताजी मान लियौ। इण भांत माताजी खुद आपरै हाथां सूं विक्रमी संवत 1515 री जेठ सुदी ग्यारस नै जोधपुर नगर अर किले री नींव राखी।


इण मौके राव जोधा अर वांरो राज परिवार करणीजी री खूब सेवा करी अर वांसूं अमर हुवण रौ वरदान मांग्यौ।
करणीजी कैयो’कै जिको भी जीव इण धरती माथै जलम्यौ है, उण रौ मरणो तय है, इण कारण तूं अमर हुवण री
बात ना कर। पछै बै वरदान दीयौ कै थारी 28 पीढियां जोधपुर माथै राज करैली, पछै थे इण रा भोमिया बण’र
जीवौला।

इण रै बाद जद करणीजी कैई दिनां पाछे देसणोक खातर रवाना हुया तद अमरा चारण वांनै आपरै गांव
मथाणियां पधारण सारू अरज करी। माताजी दो दिन मथाणियां रिया उण बखत अमरा चारण वठै मिंदर बणावण
री आग्या मांगी। माताजी वांनै कह्यौ कै तूं म्हारौ गुम्बदवाळौ मिंदर नीं बणाय’र तिबारीवाळो मिंदर बणा अर वठै
म्हारी मूरत नीं लगाय’र खाली पगल्या लगा। सागै वांनै वरदान दीयौ कै कदेई थारै गांव मांय काळ नीं पडैला
अर बीमारियां नीं फैलैली। माताजी रौ ओ तिबारीवाळो मिंदर आज बी गांव मांय मौजूद है अर वठै रा लोग सदां
सूं इ खुसहाल रैंवता आय रैया है।

इण भांत जोधपुर नगर री थापना करयां पाछै माताजी करणीजी मथानियां सूं पैली सुधा परबत गया अर वठै सूं पाछा देसणोक आयगा।

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