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बीकानेर री थापना कुण करी

बीकानेर री थापना कुण करी

राव जोधा रा बेटा हा राव बीकाजी। राव बीकाजी भैरूंजी अर करणीजी रा उपासक हा। अेकर किणी
बात नै लेय’र उणां रौ आपरै पिताजी राव जोधाजी सूं मनमुटाव हुयग्यौ अर वां न्यारौ राज बसावण री ठान ली।


बीकाजी न्यारै राज बसावण रौ संकळप लेय’र विक्रमी संवत 1532(1545ई.) मांय दसहरे री पूजा कर’र भैरूंजी री मूरत
अर आपरा काकोसा राव कान्धळजी नै सागै लेय’र चाल पड्या करणीजी रो आसीरवाद लेवण नै। देसणोक
आय’र माताजी करणीजी सूं मिल्या अर वांनै आपरी न्यारौ राज्य बसावण री इच्छा बतायी।

करणीजी वांनै इच्छा
पूरी करण रौ आसीस दीनों अर कैयो कै भैरूंजी री मूरत री थापना कोडमदेसर में करौ अर वठै इ’ज बस जावौ।
बीकाजी माताजी रो आदेस मान’र कोडमदेसर गया परा अर वठै भैंरूंजी री मूरत री थापना कर दीनी अर नुवैं
राज बसावण री योजना बणावण लाग्या।

उण बगत रो बीकानेर कई छोटा छोटा टुकङा मांय बटयोङो हौ जिणमें हिन्दु अर मुसलमाना रा लगेटगे
16 छोटा छोटा राज हा। इणां में कुसल प्रसासन नहीं हो अर जनता मांय लूटमार री प्रवृतियां हावी ही। इण
कारण जनमानस घणी बार आपरी समस्यावां नै लेय’र करणीजी री सरण में जाया करता।

इण बात सूं करणीजी
परेसान हुया करता अर सोचता कै आं छोटा छोटा राज नै मिळाय’र अेक नुंवी रियासत बणाय दी जाय। राव
बीकाजी कोडमदेसर मांय आपरौ किलौ बणावण री सोची जिसूं आसे-पासे रा किलेदार अर सूबेदार नाराज
हुयग्या अर सगळा मिळ’र बीकाजी रै खिलाफ जुध री त्यारी सरू करदी।

इणां रै मांय पूगळ रा राव शेखा भी
हा। राव बीकाजी आ बिपदा लेय’र करणी कनै गया। करणीजी उणी बगत राव शेखा नै देसनोक बुलायौ अर
कैयो कै बीकाजी रै खिलाफ जुध नीं करणौ है। फेर बीकाजी नै इण जुध मांय जीतण रो वरदान दीयौं। माताजी
रो हुकम मान’र राव शेखा इण जुध मांय नहीं लङया अर जुध मांय बीकाजी री जीत हुई पण इण रै बाद भी
उण खेतरा रा सामन्त बीकाजी रै खिलाफ छोटी-छोटी गुरिल्ला लङाइयां लङता रैया।

इण सूं परेसान हुय’र
बीकाजी फेरूं करणीजी री सरण में गया। जद करणीजी वांनै जांगळू रैवण री सलाह दीनी। इण तरै बीकाजी
विक्रमी संवत 1535 री असाढ सुदी पांचम तांई जागळू रैया अर वठै रो राजकाज संम्भाळयौ। इण र इलाकै मांय जाटां रा छोटा छोटा 6 राज हा।

अेक’र किणी जाट लुगाई दूजे रै जाट सागै फेरूं ब्यांव कर लीनो इण कारण उणां में आपस मांय बैर बंधग्यौ। अेक पख बीकाजी कनै आयौ अर वां सूं मदद करण री अरदास करी। बीकाजी मदद करण सूं पैली कैई सरतां राखी जिकी जाट राजा पांडु गोदारो मानली। जद विक्रमी संवत 1540 रै असाढ सुदी चैदस नै करणीजी राव बीकाजी नै जाट राजा री मदद करण सारू आदेस फरमायौ।

बाद में विक्रमी संवत 1540 रै सावण सुदी छठ नै जाटां में आपस में जुध हुयौ जिकै मांय बीकाजी रो पख जीतग्यौ। बीकाजी री इण जीत रौ औ परभाव पड्यौ कै धीरे धीरे जाटां रै अलावा अन्य कैई दूजा भी उणां री आधीनता मानली। पछै करणीजी राव बीकाजी नै नूंवो किलो अर राज बसावण रो आदेस फरमायौ।

जद अेक अेङी जागां जठै नागौर, अजमेर अर मुल्तान रा मारग आय’र आपस में मिलता हा अर जिणरो नांव ’रातीघाटी’
हुया करतौ, उण जागां नै करणीजी किलो बणावण खातर चूण्यो। विक्रमी संवत 1542 में नगर री नींव राखीजी
अर विक्रमी संवत 1545 रै बैसाख सुदी दूज नै इण नूंवे राज बीकानेर रै गढ री परतिस्ठा व्ही।

उण जलसै में बीकाजी आपरै काका राव कान्धळजी अर उणां रै भाई राव बीदा खातर न्यारी न्यारी गदियां बैठण सारू लगवायी तद माताजी करणीजी कैयो कै अेक ही लगावौ अर राव बीका अर राव कान्धल नै साथी रै रूप मांय कारज करण रौ आदेस देवो। इण भांत करणीजी बीकानेर राज री थापना करी अर उणनै आगे बधावण सारू बखत बखत माथै राव बीकाजी रौ मारग दरसण करयौ।

देवलोकगमन

विक्रमी संवत 1594 रै आसोज रौ महीनौ चाल रैयो हो। करणीजी आपरी बैना सूं मिलण खातर गांव खारोङा गया हा। वठै अेक खाती रैया करतौ जिकै रौ नांव बन्नो हौ। बन्नो जलम सूं इ देख नीं सकतौ हो, पण वौ करणीजी जो परम भगत हौ। करणीजी उण सूं अेकांत मांय मिळया अर उणनै कैयो कै म्हूं थने थोङी बखत वास्ते देखण री सगती देऊंला, उण बखत तूं म्हारौ असली रूप देख’र उण री मूरत बणाईजै फेर जद बा मूरत पूरी हुय जावै तो उण मूरत नै सिरांणै राख’र सो जाजे।

थारी आंख जद खुलेला तद तूं देसनोक में हुवैला। वठै जिकौ गुम्भारो बणयोङो है उण में आ मूरत थाप दीजै। मूरत री थापना रै बाद थारी निजरां सदां खातर ठीक हुय जावैला। म्हैं थनै मूरत बणावण सारू इण खातर चुण्यौ है कै थारी निजरां पवितर है।

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