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राजस्थान रा देवता गोगाजी

राजस्थान रा देवता गोगाजी

राजस्थान राज्य के चुरू जिले रै ‘ददरेवा’ मांय अेक राजा हुया करता हो जिणरो नाम हो राणा जीवराज
चैहान
। इणां री राणी बाछल देवी नामी भगत ही। जिणरै कोई औलाद नीं ही। अेकर ख्यातनांव भगत
बाबा गोरखनाथजी घूमता-फिरता उणरै ददरेवा आया तद राणी बाछल देवी उणां री खूब सेवा करी।

गोरखनाथजी राजी हुय’र बाछल देवी नै वरदान दीयौ कै थारै अेक बेटो हुसी जिको पराक्रमी, वीर अर चमत्कारी हुवलो।
बो लोकद देव हुसी। बाबो उणनै परसादी मांय थोडो’क गूगळ दीयो। भादवे बदी री नौंवी तिथ नै राणी बाछल देवी अेक बेटै नै जलम दीयो, जिकै रौ नांव राख्यौ ‘गूगो’। ‘गू’ रौ अर्थाव गुरु सूं है अर ‘गो’ रो अर्थाव गोरखनाथ सूं।

ओ ‘गूगो’ सबद ही बाद मांय ‘गोगो’ बणग्यो।

गोगाजी रै जलम रै समै बाबत इतिहासकार एकमत नीं है। फैर बी घणकरा इतिहासकार उणा रो जलम ग्यारवीं सदी मानै क्यूं’कै बै मुसळमान राजा महमूद गजनवी सागै लङाई करी ही अर इण लड लङाई रो बगत इस्वी सन्1026 मान्यौ जावै है।
गोगाजी बाळपण सूं ही वीर, पराक्रमी अर धार्मिक विचारां रा हा। बै सदा इ लोगां नै प्रेम, र्भाइचारै अर
देस भगती री सीख देंवता। गोगाजी समाज मांय सूं भेदभाव अर जात-पांत रै भेद नै मिटावण सारू सदाइ
कारज करया।
दसवीं सदी मांय जद महमूद गजनवी सोमनाथ मिंदर माथै हमलो कर’र मिंदर नै तोड’र बठै रो धन
लैय’र पाछौ गजनी जाय रैयो हो तद मारग में गोगाजी चैहान महमूद गजनवी नै लङण वास्तै ललकारयौ अर भयंकर हुया जुध मांय उणां री फौज महमूद गजनवी नै हराय दियौ। इण जुध मांय चौहान वंस रा सैंताळीस बेटा अर साठ भतीजा आपरै प्रांणां री आहूति दे दीनी अर राणियां जौहर करियौ।
जुध करती वेळा जिण जागां माथै गोगाजी रो सरीर पङयौ बठै आज भी उणां री समाधि है, अर उण
जागां नै गोगामेङी कैवै। इण रे कनैइ ‘गोरख’ टीबो है, जठै नाथ सम्प्रदाय रो देवळ है। आ जागां राजस्थान रै श्रीगंगानगर जिले री नोहर तहसील मांय है।

बीकानेर रा महाराजा गंगासिंहजी अठै गोगाजी री मूरत लगाय’र फूटरो सो मिंदर बणवा दीयौ हो। इण बगत अठै कायमखानी मुसळमान परिवार रैवै। इण मिंदर मांय हिन्दुआं नै बरस मांय अेक महीने तक पूजा करण रो हक है, बाकी ग्यारह महीना मांय कायमखानी मुसलमान ही अठां री सार संभाळ करै।

गोगाजी बाबा गोरखनाथ रा चेला हा, इण कारण उणां नै घणकरी तांत्रिक सगतियां री सिधि भी
हासिल ही। गोगाजी सांप रौ जैर उतारण मांय माहिर हा। इण रै अलावा भी गोगाजी नै ओर भी कई चमत्कारी सिद्धियां रौ ज्ञान हो। वै सदा ही लोक मंगळ रै कामा मांय आपरौ जीवण लगायोङौ राख्यौ।

गोगाजी वीर या पीर –


गोगाजी रै नांव सागै कई लोगां अेक विवाद जोङ्यो है। बां लोगां रो ओ मानणो है’कै आपरै जीवण
रै अन्त बगत गोगाजी मुसळमान बणग्या हा अर कलमा पढण लाग्या। अे लोग गोगाजी री
समाधि रौ आकार मजार जैङो बणाय दीनौ अर उणनै कब्र साबित करण री कोसिस करी। अेइ लोग उणां नै ‘गोगा वीर’ री जगां ‘गोगा पीर’ कैवणो सरू कर दीयौ।

हालांकि इण बारै मांय इतिहासकारां कनै कोई सबूत अर जाणकारी नीं है पण घणकरा इतिहासकार इणनै गळत बतावै। उणां रौ मानणो है’कै जिको मिनख सदा ही मुसळमाना रै अत्याचारां रै खिलाफ लङ्यौ, हिन्दू धर्म री रिक्षा करण खातर जिको ग्यारै बार मुसळमानां सूं जुध करयौ, जिको बाबा गोरखनाथ रौ भगत हो अर जिको मुसळमाना सूं जुध करती बगत आपरै पूरै परिवार रौ बलिदान कर दीनौ, वो गोगाजी मुसळमान कींकर बणग्यौ।

गोगाजी री सत्रहवीं पीढी मांय करमसिंह नांव रो राजा हुयौ जिकै नै उण बगत रा मुसळमान आतताई जबरदस्ती मुसळमान बणाय दीनौं। इणरै बावजूद भी करमसिंह हिन्दू धरम नै नीं त्याग्यौ अर मुसळमान बण जावण रै बाद भी पूजा पाठ करतौ रैयो। इणी करमसिंह नै कायमसिंह नांव सूं भी जाण्यौ जावै। इणी करमसिंह या कायमसिंह रा वंसज आज री बगत रा कायमखानी मुसळमान है, जिका मुसळमान हूंवता थकां भी
हिन्दू रीति रिवाजां नै मानै। अे कायमखानी ही गोगाजी रै मिंदर मांय पूजा करै अर मेळे री बगत पूरै महीने री पूजा रो भार हिन्दू पूजारयां नै दे देवै।


राजस्थान रै अलावा गुजरात, मालवा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा इत्याद राज्यां मांय भी गोगाजी री
घणी मानता है। आ जागां माथै भी गोगाजी रा मिंदर अर थान है। राजस्थान रै गोगामेङी गांव रै गोगाजी रै मिंदर मांय भादवै महीने री सुदी अर बदी री नौवीं तिथ नै गोगाजी रौ मेळो भरीजे जिकै मांय दूर दूर सूं सिरधाळू आवै। अर मनौत्यां मांगै। गोगाजी रा भजन गावै अर खीर चूरमे री परसादी बांटै।

गोगाजी रौ देवलोकगमन


गोगाजी रै देवलोकगमन रै बाबत भी इतिहासकार अेक राय नीं है। आ लोक धारणा है कै गोगाजी री
मासी रा बेटा अरजुन अर सुरजन गोगाजी रा राणी साथै छेङ छाङ करी। गोगाजी नै जद इण बात री ठा लागी तो वै रीस में आय’नै आपरी मासी रै बेटा नै मार दीया। इण बात रो गुस्सो कर’र गोगाजी री माता रूसगी अर उणा रो मूंडो नीं देखण रो संकळप कर लीनौ। इण बात सूं गोगाजी बौत दुखी हुया अर उणां जींवत समाधि ले लीनी।

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