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राजस्थान री लोक देवी हिंगळाज माता

राजस्थान री लोक देवी हिंगळाज माता


भारत रै सगती पीठां मांय हिंगलाज री मोटी मानता है। देस रै इक्यावन सक्ति पीठां मांय पैलो सक्ति
पीठ हिंगळाज रौ गिणीजै। ’तंत्रचूङामणि’ अर ’वृहन्नीलतंत्र’ मांय ओ थान ‘हिंगुळा’ अर ‘शिवचरित’ तंत्र ग्रंथ मांय भी ‘हिंगुळा’ नांव सूं जाणीजै।

ओ कहीजै कै जिण वखत भगवान ‘शिव’ सती री ल्हास आपरै कांधे लियां अठी-वठी घूम रैया हा तो भगवान ‘विष्णु’ आपरै सुदर्सण चक्र सूं सती री देह रौ छेदन करयौ। उण वखत उण जागां सती रै कट्यौङै माथै रै पङण री मानता है। क्यूं’कै सतीजी री मांग मांय हिंगळू (कुमकुम) भरयौङो हो इण कारण इण ‘शक्ति पीठ’ रौ नांव हिंगुळाज पङयौ।

त्रेताजुग मांय श्रीराम जद रावण रो वध करयौ तद ब्रह्म हत्या रै पाप सूं मुगति पावण खातर हिंगळाज तीरथ री जात्रा करयां पछै इ’ज वै पाप सूं मुगत हुया। मां हिंगळाज बाबत चारण समाज मांय ओ विस्वास है कै वां ‘आद्य शक्ति’ रै रूप मांय थट्ठै सै’र(सिन्ध पाकिस्तान) मांय ‘गोरबिया’ साख रै चारण हरिदास रै घरां अवतार लीनो अर चारण समाज मांय आज इ आ मानता है कै इण सै’र री जात्र अर हिंगळाज री जात्रा रो पुन बरोबर है।

इण तरै ‘आद्य शक्ति’ मां हिंगळाज अर चारण देवी हिंगळाज इण भांत एकाकार है दोन्यां नै न्यारी-न्यारी कोनी करी जाय सकै। हिंगळाज तीरथ सिन्धु नदी रै छोर सूं 80 मील आथूणै अर अरब सागर सूं 12 मील उतरादै आयोङी है। जिण जागां गिरिमाळा, मकरान अर लूस नै अळगा करै, उणी जागां गिरिमाळा रै छोर माथै हिंगळाज तीरथ है।

पहाङ री अेक अंधेरी गुफा मांय मिंदर है, बठै बिराजै है महामाया हिंगळाज देवी। जद पाकिस्तान रौ जलम नीं हुयौ हो अर भारत री आथूणी सीमा अफगानिस्तान अर इरान तांई ही, उण वखत हिंगळाज तीरथ हिन्दुवां रौ प्रमुख तीरथ मान्यो जावतो हो।

बलुचिस्तान रा रैवासी मुसळमान श्री हिंगळाज देवी री पूजा बङै चाव सूं करता अर मां हिंगळाज नै ‘नानी’ कैंवता अर उठै री तरथ जात्रा नै ‘नानी रौ हज’ कैंवता। मिंदर मांय लाल कपङो,अगरबती, मोमबती, इतर अर परसाद चढांवता। पाकिस्तान बणणै सूं पैला ‘हिंगळाज शक्ति पीठ’ हिन्दुवां अर मुसळमानां रो अेक इ महातीरथ हुया करतौ हौ।

पैली हिंगळाज देवी री जात्रा कराची (सिन्ध पाकिस्तान) सूं ऊंटा माथै या फैर पैदल हुया करती ही। ऊंटां माथै आ जात्रा चन्द्रकूप हुय’र 25 दिनां मांय हिंगळाज पूगती अर पाछा आंवती वेळा चन्द्रकूप नीं जाणै सूं 20 दिनां मांय करांची पूगती। कराची रै नागनाथ रै अखाङे सूं आ जात्रा सरू हुंवती। चाळीस-चाळीस मिनखां रो झुंड अेके सागै जात्रा माथै निकळतो। जात्रा री अगुवाई करण वाळे तीरथ पुरोहित कैंवता।

कराची सूं छै-सात मील रै आंतरै माथै ‘हाव’ नदी बैवै। ‘हाव’ नदी रै इण किनारे सिन्ध प्रांत री सीमा समाप्त हुवै अर नदी पार करणै पर बलुचिस्तान रै ‘लासबेला’ राज्य री सीमा सरू हुवै। ‘लासबेला’ सुतंतर राज्य हौ। उणी लासबेला राज्य मांय देवी हिंगळाज बिराजै।

‘हाव’ नदी सूं जात्रा सरू करणै सूं पैलां जात्रियां नै सौगन लेणी पङै – ‘जद ताईं म्हैं लोग हिंगळाज माता रा दरसण कर’र पाछा इण जागां नीं पूगां तद ताईं म्हैं संन्यास धरम रौ पालण करसां। अेक दूजै री सगती सारू सहायता करसां। किणी साथै इ सखो द्वैस कोनी राखां अर किणी खातर अपणै मन मांय निंदा भाव नीं राखां पण किणी हालत मांय अपणी केतली रौ पाणी कोई नै नीं देवां।

अठां ताईं कै धणी आपरी लुर्गाइ नै, लुगाइ-धणी नै, बेटो-बाप नै, बाप-बेटे नै, मां-बेटे नै अर बेटो-मां तकाद नै अपणी केतली रौ पाणी कोनी देवे। जै इण नियम नै तोङसी तो उण री मौत निस्चित हुवैगी।हिंगळाज जात्रा रौ ओ भी नियम है कै हर जातरी अेक-अेक रोटी ऊंटवाळे नैं इ देवेला अर जै मारग मांय कोई कुओ आवै अर जात्री उठै ठैर’र रोटी बणावै -खावै तो अेक-अेक रोटी कुअेवाळे नै भी देवेला।

साथै ई दस-बीस कोस रै ओळे-दोळे जै कदास कोई घटना हुवै तो उण री सूचना बो कुअे वालों इ पुलिस चैकी ताईं पुगावैला। मरूथळ रा अे जळ केन्द्र सब राज्य रा सूचणा केन्द्र हुया करता हा। जातरा रै मारग मांय चन्द्रकूप रो थान आवै जठै हिंगळाज जातरा रौ हुकम लेवणो पङै।

चन्द्रकूप भस्मी-भभूती रौ मिंदर है। च्यारूमेर डरावणो अर भयानक दरस निजर जावै जितै ताईं माटी रा पहाङ दीसै, बिचाळै अेक ऊंचे पहाङ रै सिरवर सूं धुंओ निकळतो रैवै। ओ इज है हर वखत धुंओ उगळतो चन्द्रकूप सरोवर जठै सबरै पापां रो नास हुवै। चन्द्रकूप अेक दळदळी सरोवर है।

सरोवर रै मांय धधकती आग खदबदतै दळदळ नै ऊपर उछाळै। इण ठौङ जातरी आप-आपरै हाथ मांय नाळेर लेय’र अपणी जिंदगी मांय करयौङा पापां री सगळां सामी जोर-जोर सूं बोल’र हामळ भरतां थकां उण दळदळ मांय आपरो नाळेर फैंके। जै कोई जातरी करयौङौ पाप छिपावण री कोसिस करी हुवै तो फैंक्योङा नाळैर उण दळदळ माथै इज तिरतो रैवै। इसा जात्रियां नै आगै भगवती हिंगळाज रा दरसणा
सारू जावण रौ हुकम कोनी मिळै पण जिणां जात्रियां रो नाळेर दळदळ मांय गुम जावै उणां नै आगै री जातरा करण रौ हुकम मिळै। जै कदास किणी जातरी रौ नाळेर दळदळ पाछो बारै फेंक देवे तो बो जातरी बङो इ भागवान मानीजै। माता हिंगळाज रै म्हैल तांई पूगण रै मारग मांय अघोर नदी कई बार आवै।

मां हिंगळाज री लीला न्यारी है। नदी रौ पाणी कठई खारो मिळे तो कठई मीठौ। नदी रै परलै पासी जिका डूंगर दीसै उणां मांय इज मां हिंगळाज री गुफा है इण किनारै जातरी रातीजगो करै अर दूजै दिन अघोर नदी मांय सिनान करै अर हिंगळाज महापीठ रै पीठाधिपति अघोरी बाबा नै दान-दखिणा देय’र नदी रै उण पार पूग’र माई रै म्हैल नै पार करै।

दूजै दिन अघोर कुंड मांय सिनान कर गीलै कपङा मांय ही चालणो पङै। पछै कपङा निचैङ’र म्हैल मांय लोग बड़ै। हिंगळाज देवी रा कुदरती म्हैल, यक्षा रा बणायोङा माई रा म्हैल बाजै। चाळीस हाथ ऊंची रंगरंगीलै लटकतै भाटां री कुदरती छात। रंगरंगीलो आंगणो जिण माथै भांत-भांत रा रंगीन चितराम। हरी हरी दूब रौ आंगणौ अर सौरम री घमरोळ मचांवतां फूलां रा झाङा। खळखळ करतौ निरमळ पाणी रो झरणो अेक जादूनगरी-सी लखावै। उण
नै गुफा कैवां कै म्हैल कैवां कैईसी इण री अनोखी कळा। माता हिंगळाज री गुफा मांय गुडाळिया चाल’र बङणौ पङै। मां ‘आद्य शक्ति’, ‘ज्योतिर्मय’ जगजननी मां हिंगळाज रा दरसण। अद्भुद दरस, अकथ अनुभव। जनम-जनम रा पाप-साप-ताप रौ नास हुय जावै अर आत्मा सूं अंधारौ लोप हुवण लागै अर हिरदौ अेक अद्भुद उजास सूं भर जावै। अेक बङे थान माथै सिंदूर अर लाल बसतां सूं सिंणगारयौङौ मां हिंगळाज देवी रौ प्रस्तर है, जिण आगै अखंड जोत जगै।

हिंगळाज देवी रा दरसण कर’र पाछी आंवती वेळा भी अेक संकङे मारग सूं आवणौ पङै जिकै सूं बारै निकळण सारू जात्रियां नै पेट रै बळ रेंग’र बारै निकळनौ पङै जाणै मां री गर्भ जूण सूं निकळ्या व्है। बारै निकळताई अघोरी बाबो माळा पैरावै अर कैवै कै ‘जो कुछ भी आप अठै देख्यौ है या मैसूस करयौ है वो भूल सूं भी किणनै इ बतावणौ कोनी।’
मां हिंगळाज ‘शक्ति पीठ’ 51 ‘शक्ति पीठां’ मांय सूं पैलो मानीजै। इण री जातरा करण वाळे रौ बोइ
सनमान जितौ कै अेक मुसळमान री ‘मक्का शरीफ’ री जातरा करणै पर मिळै। चारण समाज मांय आ मानता है कै जद भी कोई चारण जलम लेवे तो मिंदर रा घंटा आपौ-आप बाजण लाग जावै।

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