सोमेश्वर द्वितीय चालुक्य वंश का शासक था
कल्याणी के चालुक्य वंश के शासक सोमेश्वर प्रथम के बाद उसका बङा पुत्र सोमेश्वर द्वितीय (1068-1076ई.) राजा बना। उसका छोटा भाई विक्रमादित्य प्रारंभ से ही महत्वाकांक्षी था। चोलनरेश वीर राजेन्द्र ने सोमेश्वर प्रथम के राज्य पर आक्रमण किया। सोमेश्वर के भाई विक्रमादित्य ने कुछ सामंतों के साथ चोल नरेश से संधि कर ली। वीर राजेन्द्र ने अपनी पुत्री का विवाह उससे कर दिया तथा सोमेश्वर द्वितीय पर दबाव डालकर विक्रमादित्य को चालुक्य राज्य के दक्षिणी भाग पर युवराज के रूप में शासन करने का अधिकार दिला दिया। इस तरह चालुक्य राज्य दो भागों में विभाजित हो गया। ऐसा लगता है, कि सोमेश्वर ने पुनः अपनी स्थिति सुदृढ कर ली तथा चोल सेनाओं को अपने राज्य के बाहर भगा दिया। उसके एक लेख से सूचित होता है, कि उसकी घुङसवार सेना ने वीर राजेन्द्र चोल को कल्याणी से खदेङ दिया। इसके बाद सोमेश्वर तथा विक्रमादित्य बंकापुर से भुवनैकमल्ल (सोमेश्वर) की सेवा कर रहा था। सोमेश्वर ने मालवा के परमार राजा जयसिंह पर आक्रमण कर उसे पराजित कर दिया, जिससे वह उसकी अधीनता स्वीकार करने लगा। इस युद्ध में कलचुरि शासक कर्ण ने सोमेश्वर की सहायता की थी। किन्तु कुछ समय बाद चाहमानों के सहयोग से मालवा ने पुनः स्वतंत्रता प्राप्त कर ली।
सोमेश्वर तथा विक्रमादित्य के संबंध अधिक समय तक सौहार्दपूर्ण नहीं रह सके। 1070ई. में चोल शासक वीर राजेन्द्र की मृत्यु के बाद वहाँ सिंहासन के लिये अधिराजेन्द्र तथा कुलोत्तुंग के बीच संघर्ष छिङ गया। विक्रमादित्य अधिराजेन्द्र का साला था। अतः उसने हस्तक्षेप करके उसे चोल राज्य की गद्दी पर आसीन करवा दिया।किन्तु अधिराजेन्द्र विद्रोह में मारा गया तथा कुलोत्तुंग चोलवंश का राजा बना। सोमेश्वर ने अपने भाई विक्रमादित्य के विरुद्ध अपनी स्थिति मजबूत करने के लिये कुलोत्तुंग के साथ मैत्री संबंध स्थापित कर लिये। दोनों ने सम्मिलित रूप से विक्रमादित्य के ऊपर आक्रमण कर दिया। चोलों ने गंगवाडी का प्रदेश छीन लिया, किन्तु इस युद्ध में विक्रमादित्य ने सोमेश्वर को बंदी बना लिया। उसे कारागार में डाल दिया गया तथा 1076 ई. में विक्रमादित्य ने अपने को सम्राट घोषित कर दिया।सोमेश्वर के अंतिम दिनों के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं होती है। संभवतः कारागार में ही उसकी मृत्यु हो गयी थी।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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