आधुनिक भारतइतिहास

आधुनिक भारत में भारत का वैज्ञानिक विकास(1947-64)

भारत में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के उद्देश्य से 1948 में परमाणु ऊर्जा विधेयक कानून बनाया गया। तथा डॉ. होमी जहांगीर भाभा की अध्यक्षता में 10 अगस्त,1948 को वैज्ञानिक अनुसंधान विभाग के अंतर्गत एक परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन किया गया।

1954 में परमाणु ऊर्जा आयोग के कार्यों के संपादन के लिए 1954 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की गई।

भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ.भाभा ने भारत में परमाणु कार्यक्रम को प्रारंभ करने के उद्देश्य से 1944 में टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री दोराब जी टाटा को एक पत्र लिखकर टाटा फण्डामेन्टल रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित करने का अनुरोध किया। फलतः 19 दिसंबर, 1945 को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फण्डामेन्टल रिसर्च की स्थापना की गई।

1954 में होमी जहाँगीर भाभा ने तीन चरणों वाला एक दीर्घकालीन नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम बनाया।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यूरेनियम और थोरियम के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना था।

प्रथम चरण में प्रेशराइज्ड हैवीवाटर रियक्टरों का चुनाव किया गया और भारत सरकार अमेरिका के सहयोग से 1966 में तारापुर परमाणु संयन्त्र की स्थापना की, जो 1969 में चालू किया गया।

द्वितीय चरण में फास्ट ब्रीडर रियक्टरों का प्रयोग किया गया। अतएवं फास्ट ब्रीडर तकनीक के विकास के लिए 1971 में कलपक्कम् ( मद्रास ) में इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई।

भारत में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के तीसरे चरण में थोरियम पर आधारित फास्ट ब्रीडर रियेक्टर तथा प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रियेक्टर के निर्माण की परिकल्पना की गयी।

भारत में नाभिकीय ऊर्जा की प्राप्ति की अपेक्षा नाभिकीय अनुसंधान हेतु विशेष रूप से अनेक अनुसंधान एवं प्रयोगिक रियेक्टरों का निर्माण किया गया।

देश का पहला परमाणु अनुसंधान रियेक्टर अप्सरा 4 अगस्त, 1956 को बंबई में स्थापित किया गया।

1955 में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान, ट्राम्बे की स्थापना की गई।
1957 में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान द्वारा यूरेनियम के प्रथम धातु पिण्ड का निर्माण किया गया।

1960 में कनाडा के सहयोग से अनुसंधान रियेक्टर साइरस का निर्माण किया गया।

इसका उद्देश्य रेडियो-आइसोटोप्स का उत्पादन तथा उनके प्रयोग एवं प्रशिक्षण में सहयोग देना था।

शून्य ऊर्जा प्रायोगिक रियेक्टर जरलीना 1971 में चालू किया गया था।

आज भारत रेडियो आइसोटोपो का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला देश है, तथा उन गिने चुने देशों में से एक है जिनके पास विकिरण प्रोद्योगिकी की पूरी जानकारी और पूर्णतः विकसित ढांचा है और बार्क इन आइसोटोपो के उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाता है।

1962 नांगल ( पंजाब ) में प्रथम गुरु जल सयंत्र की स्थापना की गयी।

1964 में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान में प्लूटोनियम निर्माण संयन्त्र स्थापित किया गया।

भाभा की मृत्यु के बाद 1967 में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान, ट्राम्बे का नाम बदलकर डॉ.होमी जहाँगीर भाभा के नाम पर भाभा एटॉमिक रिचर्स सेन्टर (BARC) रखा गया।

भारत में 1960 के दशक में नाभिकीय इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एण्ड एलाइड साइसेंज की स्थापना की गयी।

नेहरू की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह मानते थे, कि भारत की समस्याओं के समाधान के लिए विज्ञान एवं तकनीक का विकास अति महत्त्वपूर्ण कारक है।

1938 में भारत विज्ञान कांग्रेस को दिये गये अपने संदेश में उन्होंने यह कहा था कि, सिर्फ विज्ञान ही अकेले भूख और गरीबी, गंदगी और अशिक्षा, अंधविश्वास और मृत हो रही परंपराओं, रीति-रिवाजों और संसाधनों को भारी बर्बादी से बचा जाता है।

1952 में अमेरिका के एम.आई.टी.( मेसाचुसेट्स इन्सटीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी ) के आधार पर भारत में पहला आई.आई. टी. कॉलेज कानपुर, में 1960 और दिल्ली में भी आई.आई. टी. कॉलेज स्थापित किये गये।

1963 में तिरुअनंतपुरम के समीप थुम्बा में भूमध्य रेखीय राकेट प्रक्षेपण केन्द्र की स्थापना का कार्य प्रारंभ किया गया।

1963 को टी.ई.आर.एल.एस.(थुम्बा) से प्रथम साउडिंग राकेट (अमेरिका का निर्मित) का प्रक्षेपण किया गया।

1965 में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति के लिए तथा अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन देने हेतु थुम्बा में अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी केन्द्र की स्थापना की गयी।

1967 में अहमदाबाद में उपग्रह दूर संचार भू-केन्द्र की स्थापना की गयी।

1969 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का पुनर्गठन करके भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना की। बाद में 1972 को अंतरिक्ष आयोग एवं अंतरिक्ष विभाग की स्थापना की गयी।

1948 में भारतीय टेलीफोन उद्योग लिमिटेड की स्थापना की गयी। जिसे जनवरी, 1950 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में परिवर्तित कर दिया गया।

1952 को वायरलेस नियोजन एवं समन्वय शाखा की स्थापना की गयी।

यह देश में रेडियो स्पेक्ट्रम के प्रयोग के नियमन तथा समन्वय के लिए राष्ट्रीय रेडियो नियमन प्राधिकरण के रूप में काम करती है।

इनटेल सैट जो एक अंतर्राष्ट्रीय उपग्रह संचार प्रणाली है, का गठन 1962 मेंकिया गया।

भारत में कम्प्यूटर का विकास 1955 से आरंभ हुआ, लेकिन इसका वास्तविक विकास राजीव गाँधी के शासन काल से माना जाता है।

कम्प्यूटर का उपयोग प्रारंभिक वर्षों में मुख्य रूप से वैज्ञानिक गणनाओं के लिए ही किया जाता है।

कृषि उत्पादन बढाने के उद्देश्य से 1963 में राष्ट्रीय बीज निगम की स्थापना की गयी।

1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना की गयी।

नई दिल्ली स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अंतर्गत 1966 में गोवा में राष्ट्रीय सागर विज्ञान की स्थापना की गयी।

इस संस्थान का मुख्य कार्य समीपवर्ती सागरों के भौतिक, रासायनिक, जीव विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान और इंजीनियरिंग के संबंध में पर्याप्त ज्ञान विकसित करना है।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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