इतिहासमध्यकालीन भारतसूफीमत

नक्शबंदी सिलसिला क्या था

नक्शबंदी सिलसिला क्या था

नक्शबंदी सिलसिला की स्थापना 14 वीं सदी में ख्वाजा वहाउद्दीन नक्शबंदी ने की थी, किन्तु भारत में इसका प्रचार ख्वाजा बकी बिल्लाह (1563-1603ई.)ने किया था। ये लोग सनातन इस्लाम में आस्था रखते थे और पैगम्बर द्वारा प्रतिपादित शिष्यों में शेख अहमद सरहिन्दी प्रमुख थे, जिनको मुजद्दीद के नाम से भी जाना जाता था।
उन्होंने बहादतुल बुजूद के सिद्धांत की जगह पर बहादतुल शुहूद (प्रत्यक्षवाद) का सिद्धांत प्रतिपादित किया। शेख सरहिन्दी का कहना था, कि मनुष्य और ईश्वर में संबंध स्वामी और सेवक का है, प्रेमी और प्रेमिका का नहीं। शेख अहमद सरहिन्दी के पत्रों का संकलन मक्तूवाद-ए-रब्बानी के नाम से प्रसिद्ध है। उन्होंने शिया सम्प्रदाय तथा दीन-इलाही की आलोचना की। मुगल शासक जहांगीर भी इनका शिष्य था।
कट्टरवादी औरंगजेब इनके पुत्र शेख मासूम का शिष्य बन गया। नक्शबंदी सम्प्रदाय के दूसरे महासंत दिल्ली के वहीदुल्ला (1707-62 ई.) थे। इन्होंने बहादतुल बुजूद और बहादतुल शुहूद के दोनों सिद्धांतों को एक दूसरे से समन्वित कर दिाय। इन्होंने कहा कि इन दोनों सिद्धांतों में कोई अंतर नहीं है।
इस शाखा के अंतिम विख्यात संत ख्वाजा मीर दर्द थे। मीर दर्द ने एक अपना मत चलाया जिसे इल्मे इलाही मुहम्मद कहते थे। मीर दर्द उर्दू और फारसी के अच्छे कवि भी थे।

इन सिलसिलों के अलावा शत्तारिया शाखा, कलन्दारिया शाखा और मदारिया शाखा का नाम लिया जाता है। शत्तारिया शाखा के प्रवर्त्तक शेख अब्दुल्ला शत्तार थे। इस शाखा के दूसरे संत शाह मुहम्मद गौस थे। इनके दो प्रसिद्ध ग्रंथ थे – जवाहिर – ए – खस्मा और अबरार – ए – गौसिया।
इस शाखा के अंतिम संत शाह वजीउद्दीन थे। कलंदरिया शाखा के सर्वप्रथम संत अब्दुल अजीज मक्की को माना जाता है। इनके शिष्य खिज्ररूमी कलंदर खपरादरी थे। इनकी वजह से चिश्तिया-कलंदरिया उपशाखा का जन्म हुआ तथा सैय्यद नजमुद्दीन कलंदर ने इस शाखा का खूब प्रचार किया।
इस शाखा के अंतिम महान संत कुतुबुद्दीन कलंदर हुए, जिन्हें सरंदाज की संज्ञा दी गयी थी। मुंडित केश को इसी शाखा का संत माना जाता है।इसके अलावा मदारिया शाखा भी मिलती है, जिसके प्रवर्त्तक शेख बदीउद्दीनशाह मदार थे।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

India Old Days : Search

Search For IndiaOldDays only

  

Related Articles

error: Content is protected !!