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19 नवम्बर : पुरुष दिवस कब तथा क्यों मनाया जाता है

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस (International Men’s Day)हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस दिन को मान्यता दी है। पुरुष दिवस का मुख्य उद्देश्य पुरुषों और बच्चों के स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और आदर्श पुरुषों के बारे में दुनिया को बताना होता है।

महिला दिवस की तरह ही अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस होता है। यह दिवस पुरुषों को भेदभाव, शोषण, उत्पीड़न, हिंसा और असमानता से बचाने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए मनाया जाता है।

पुरुष दिवस की शुरूआत

पुरुष दिवस पुरुषों से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा और विचार विमर्श करने के लिये मनाया जाता है। 1998 में त्रिनिदाद एंड टोबेगो में पहली बार 19 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया और इसका श्रेय डॉ. जीरोम तिलकसिंह को जाता है।

उन्होंने इसे मनाने की पहल की और इसके लिए 19 नवंबर का दिन चुना। उनके इस प्रयास के बाद से ही हर साल 19 नवंबर को दुनिया भर के 60 देशों में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है और यूनेस्को भी उनके इस प्रयास की सराहना कर चुकी है।

भारत में पहली बार 2007 में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया और इसे पुरुषों के अधिकार के लिए लड़ने वाली संस्था ‘सेव इंडियन फैमिली’ ने पहली बार मनाया था।

इस दिन पुरुषों की उपलब्धियों का उत्सव मनाया जाता है और साथ ही समाज, परिवार, विवाह और बच्चों की देखभाल में पुरुषों के सहयोग पर भी बात होती है।

पुरुष दिवस मनाना क्यों जरूरी है

भले ही आपको ऐसा लगे कि भारत पुरुष प्रधान देश है और यहां महिलाओं को ध्यान में रखते हुए महिला दिवस जैसे उत्सव मनाने जरूरी हैं।लेकिन यकीन मानिए, पुरुष भी कम बेचारे नहीं हैं।पुरुषों की भी अपनी ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे उन्हें जूझना पड़ता है।यकीन न हो तो कुछ आंकड़े आपका ध्यान इस ओर खींचने में मदद कर सकते हैं।76 फीसदी आत्महत्याएं पुरुष करते हैं, 85 फीसदी बेघर लोग पुरुष हैं, 70 फीसदी हत्याएं पुरुषों की हुई हैं, घरेलू हिंसा के शिकारों में भी 40 फीसदी पुरुष हैं. तो अगर महिला और पुरुष को समानता के पैमाने पर रखना है तो महिला दिवस के साथ-साथ पुरुष दिवस भी मनाना जरूरी है।इन्हीं सब कारणों के चलते पुरुष दिवस को भी मनाया जाता है।

खास बात ये है कि कुछ साल पहले भारत में मौजूद All India Men’s Welfare Association ने सरकार से एक खास मांग की और कहा कि वो महिला विकास मंत्रालय की तरह ही पुरुष विकास मंत्रालय भी बनाए, साथ ही राष्ट्रीय पुरुष आयोग का गठन हो, और लिंग समानता का मतलब समानता की तरह पेश करे।

नारी के बिना जीवन अधूरा है, लेकिन पुरुष भी उस जीवन को जीवंत बनाने में योगदान देते हैं। मां बच्चे को पेट में पालती है तो पिता भविष्य में आने वाली उसकी जरूरतों को दिमाग में पालता है। बतौर पिता, भाई, दोस्त, दादा, चाचा, मामा, नाना पुरुष कई किरदार हमारे-आपके जीवन में निभाते हैं, जिनकी काफी अहमियत होती है।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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