सम सामयिकीजनवरीदिवस

शहीद दिवस (बापू की पुण्य तिथि)

सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी पूरी दुनिया के आदर्श रहे हैं। इस मार्ग पर चल कर उन्होंने न सिर्फ भारत को करीब 200 साल से शासन कर रहे ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी दिलाई, बल्कि अपने प्राणों की आहुति भी दे दी। अपनी सादगी, सहनशीलता और कर्मठता के बल पर हर भारतीय के मन में बस गए थे बापू।

सत्याग्रह व अहिंसा का बजाया बिगुल

उनका पूरा नाम था मोहनदास करमचंद गांधी। उनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ। उनकी माता का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था। अपने पिता के जोर देने पर वे वकालत का अध्ययन करने के लिए 18 साल की उम्र में लंदन गए। वहां उन्हें भारतीय होने के कारण रंगभेद का सामना करना पड़ा। वहां एक अंग्रेज के हाथों अपमानित होने के बाद महात्मा गांधी ने अहिंसा की वो जंग छेड़ी, जिसने पूरी दुनिया को नया हथियार दे दिया। उन्होंने वहां ‘द नेटाल इंडियन कांग्रेस’ की स्थापना की और वहां रह रहे भारतीयों को एकजुट कर सत्याग्रह और अहिंसा का बिगुल बजा दिया। इसके दम पर भारत ही नहीं, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों ने भी ब्रिटिश राज का खात्मा कर स्वतंत्रता प्राप्त की।

देश में अहिंसा आंदोलन की गूंज

1915 में भारत लौटने पर ब्रिटिश शासकों द्वारा भारतीयों के ऊपर किए जाने वाले अत्याचार से बापू विचलित हुए और उन्होंने भारत से इनका सफाया करने की ठान ली। उन्होंने भारत में उस समय पैर जमा चुके ब्रिटिश शासन के खिलाफ ‘असहयोग आंदोलन’, ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’, सत्याग्रह आदि की शुरुआत कर दी। 1942 में उनके ‘अंग्रेजो भारत छोड़ों’ आंदोलन ने तो ब्रिटिश शासकों को 15 अगस्त 1947 को भारत छोड़ कर जाने के लिए मजबूर कर दिया और भारत स्वतंत्र हुआ। देश से अंग्रेजों को खदेड़ने की जंग में गांधी जी जेल भी गए। अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए उन्हें जेल में सात साल बिताने पड़े, लेकिन हार नहीं मानी।

ऐसे बने महात्मा

यह दुर्भाग्य ही था कि अंग्रेजों की ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति के कारण देश दो टुकड़ों में विभाजित हो गया। दंगे रोकने और शांति बनाए रखने के लिए गांधी जी को विभाजन की शर्त मंजूर करनी पड़ी। कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया। 30 जनवरी 1948 को बिरला हाउस (गांधी स्मृति प्रतिष्ठान) में गांधी जी की हत्या हो गई। सुबह की प्रार्थना सभा में गांधी जी हजारों लोगों के साथ जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे ने पिस्तौल से तीन गोलियां मार कर उनकी हत्या कर दी। इसके साथ भारत ने अपना महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी खो दिया।

बापू की पुण्यतिथि (shaheed diwash)

30 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि पर ‘शहीद दिवस’(shaheed diwash) मनाया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इस दिन सुबह 11 बजे दो मिनट का मौन रखा जाता है। उनके स्मारक को फूलों से सजाया जाता है। देश के गण्यमान्य व्यक्ति राजघाट पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। इस दिन सर्वधर्म प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं और बापू के प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजा राम,’ और ‘वैष्णव जन.’ गाए जाते हैं। शाम के समय उनका स्मारक मोमबत्तियों से प्रकाशित किया जाता है।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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