आधुनिक भारतइतिहास

कैबिनेट मिशन योजना के सदस्य

जनवरी, 1946 को ब्रिटेन की लेबर पार्टी के नेता प्रधानमंत्री एटली ने भारतीय नेताओं से अनौपचारिक स्तर पर बात-चीत करने के लिए एक संसदीय दल (कैबिनेट मिशन) को भारत भेजने का निर्णय लिया।

29 मार्च, 1946 को कैबिनेट मिशन भारत आया।कैबिनेट मिशन के सदस्यों में शामिल थे-

  • सर स्टेफर्ड क्रिप्स (व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष)
  • श्री ए.वी.अलेक्जेंडर (एडमिरैलिटी के प्रथम लार्ड या नौसेना मंत्री) तथा
  • पैथिक लारेंस (भारत सचिव)

कैबिनेट मिशन की स्थापना से पूर्व ही हाऊस ऑफ लार्डस में 19 फरवरी, 1946 को पैथिक लारेंस ने कहा था कि, यह न केवल भारत,ब्रिटेन और राष्ट्रमंडल के ही लिए प्रत्युत समूचे संसार की शांति के लिए आवश्यक है, कि भारतीय लोकमत के नेताओं के साथ जो बातचीत चल रही है, उसकी सफल परिणति हो।

भारत में कैबिनेट मिशन की घोषणा करते हुए पैथिक लारेंस ने कहा, कि इसका उद्देश्य भारत के लिए संविधान तैयार करने के लिए शीघ्र ही एक कार्यप्रणाली तैयार करना तथा अंतरिम सरकार के लिए एक आवश्यक प्रबंध करना था।

कैबिनेट मिशन ने समझौते का अंतिम प्रयास करने के आशय से शिमला में त्रिदलीय सम्मेलन बुलाया। इस सम्मेलन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के तीन-2 सदस्य शामिल हुए। यह सम्मेलन 5 से 11 मई तक चला।

सम्मेलन में सर्वसम्मत समाधान न निकलने पर भी कैबिनेट मिशन ने 16 मई,1946 को अपने प्रस्तावों की घोषणा की।

कैबिनेट मिशन योजना की प्रमुख बातें इस प्रकार थी-

  1. भारत एक प्रांत होगा, जिसमें ब्रिटिश भारत के प्रांत और देशी राज्य दोनों शामिल होंगे। विदेशी मामले, प्रतिरक्षा तथा संचार केन्द्रीय सरकार के अधीन होंगे।
  2. संघीय विषयों को छोङकर शेष विषयों और अवशिष्ट शक्तियां प्रांतों में निहित होगी।ऐसी रियासतें जो विषय तथा शक्तियां संघ को सौंप दे, उनके अतिरिक्त अन्य सभी विषय तथा शक्तियां उनके पास सुरक्षित रहेंगी।
  3. संविधान-निर्मात्री सभा का गठन प्रांतीय विधान सभाओं तथा देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के द्वारा किया जायेगा। प्रत्येक पांत को उसकी जनसंख्या के अनुपात में सामान्यतया दस लाख की आबादी पर एक प्रतिनिधि के अनुपात में सीटों की कुल संख्या आवंटित की जायेगी।
  4. प्रांतों को तीन श्रेणियों में क, ख, ग में बांटा गया- क.) बंबई, मध्यप्रांत, उङीसा और संयुक्त प्रांत ख.) पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत, सिंध और पंजाब ग.) असम और बंगाल
  5. मुस्लिम लीग की पाकिस्तान मांग को इस आधार पर ठुकरा दिया गया था, कि इससे साम्प्रदायिक अल्पसंख्यकों की समस्या का समाधान नहीं होगा।

कैबिनेट प्रस्तावों में प्रांतों का विभाजन मुस्लिम लीग को संतुष्ट करने के लिए किया गया था, ताकि उन्हें मुस्लिम बहुल प्रांतों में पूर्ण स्वायत्तता का उपभोग करने के लिए पाकिस्तान को सवत्व प्राप्त हो।

26 जून, 1946 को मुस्लिम लीग कैबिनेट मिशन प्रस्तावों को स्वीकार करते हुए कहा कि, सर्वसत्ता प्राप्त पाकिस्तान के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

कांग्रेस कार्यकारिणी के मिशन ने राष्ट्रीय सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए संविधान निर्माण की प्रक्रिया का समर्थन किया। राष्ट्रीय सरकार के गठन की प्रक्रिया का कांग्रेस ने इसलिए विरोध किया, क्योंकि उसमें मुस्लिम लीग को असंगत प्रतिनिधित्व दिया गया था।

29 जून,1946 को कैबिनेट मिशन भारत से वापस चला गया। लीग और कांग्रेस ने न चाहते हुए भी इसके प्रस्तावों को स्वीकार किया।

कैबिनेट मिशन के बारे में गांधी जी ने कहा, कि यह योजना उस समय की परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में सबसे उत्कृष्ट योजना थी, उसमें ऐसे बीज थे, जिनसे दुःख की मारी भारत भूमि यातना से मुक्त हो सकती थी।

संविधान सभा के लिए हुए चुनावों में ब्रिटिश भारत के प्रांतों के 296 स्थानों में कांग्रेस द्वारा 205 पर जीत से लीग के नेता बौखला गये।

नये प्रस्ताव के अनुसार अंतरिम सरकार में 14 सदस्य होंगे, जिनमें 6 कांग्रेस मनोनीत करेगी तथा 5 को मुस्लिम लीग तथा अन्य तीन अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधि होगें।

मुस्लिम लीग को वायसराय का यह प्रस्ताव मंजूर नहीं था। अतः उसने एक प्रस्ताव पारित कर स्वतंत्र पूर्ण प्रभुता संपन्न पाकिस्तान राज्य की स्थापना के लिए सीधी कार्यवाही के लिए तैयार हो गई।

सीधी कार्यवाही

16 अगस्त,1946 को मुस्लिम लीग ने सीधी कार्यवाही दिवस ( Direct action day ) की शुरूआत कर दी, लीग की इस कार्यवाही का उद्देश्य साम्प्रदायिक दंगे फैलाना तथा आतंक का माहौल बना कर यह सिद्ध करना कि हिन्दू-मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते।

प्रत्यक्ष कार्यवाही के दौरान कलकत्ता वीभत्स हिंसा की क्रीङा स्थली बन गया, हजारों की संख्या में हिन्दू लूटे और मारे गये, बदले में बिहार में मुसलमानों पर अत्याचार हुआ।

नोआखली दंगे का प्रमुख केन्द्र रहा, दंगों के दौरान लगभग 6,000 लोग मारे गये और 20,000 लोग या तो घायल हुए या फिर उनके साथ बलात्कार हुआ।

मौलाना आजाद के अनुसार 16 अगस्त भारत के इतिहास में काला दिन है, क्योंकि इस दिन सामूहिक हिंसा ने कलकत्ते की महानगरी को रक्तपात, हत्या और भय की बाढ में डुबो दिया, सैकङों जाने गई, सहस्त्रों व्यक्ति घायल हुए और करोङों रूपये की संपत्ति नष्ट हो गई।

प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस के दौरान नोआखली, बिहार, संयुक्त प्रांत, गुजरात और पंजाब, फिर एक वर्ष से अधिक समय तक दानवता का जो नंगा नृत्य हुआ, वह भारत के इतिहास पर एक ऐसा धब्बा है, जिसकी याद कर भारतीय उप महाद्वीप पर बसने वाले प्रबुद्ध, हिन्दू, सिक्ख और मुसलमानों का सिर शर्म से झुक जाता है।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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