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चेर राजवंश के बारे में जानकारी

चेर राज्य आधुनिक केरल प्रांत में स्थित था,जिसके अंतर्गत त्रावणकोर, कोचीन तथा मालाबार का कुछ भाग सम्मिलित था। चोल राज्य के समान यह भी एक प्राचीन तमिल राज्य था। संगमयुग में प्रथम चेर उदियंजेरल (130 ई.) था। उसका पुत्र नेदुंजेरल आदन हुआ। उसने मालाबार तट पर अपनी नौसेना द्वारा किसी स्थानीय शत्रु की विजय की तथा अनेक यवन व्यापारियों को बंदी बना लिया। संगम साहित्य से पता चलता है, कि इसने कई राजाओं को युद्ध में पराजित कर अधिराज की पदवी प्राप्त कर ली। उसके छोटे भाई कुट्टवन ने कोंगु को जीता तथा चेर शक्ति का विस्तार पूर्वी समुद्रतट से पश्चिमी समुद्रतट तक कर लिया। इसके बाद आदन का पुत्र शेंगुट्टुवन राजा हुआ,जिसने मोहूर की विजय की। उसने अपने समकालीन पाण्ड्य तथा चोल राजाओं को भी परास्त किया।

संगम युग का अंतिम चेर शासक कुडक्कोइलंजीराल इरुम्पोरै (190ई.) हुआ। उसे भी चोल तथा पाण्ड्य राजाओं को जीतने का श्रेय दिया गया है। इसके बाद चेर राज्य का इतिहास अंधकारपूर्ण है। 12 वीं शती.तक यह राज्य पल्लव, चोल पाण्ड्य राज्यों के अधीन रहा। तेरहवीं शती के अंतिम चरण में चेर वंश का शासक रविवर्मन् कुलशेखर हुआ, जिसने पाण्ड्य तथा चोल राज्यों का अधिकांश भाग को विजित कर अपने राज्य का विस्तार किया। वह कुशल शासक तथा विद्या का संरक्षक था। कोल्लम (क्विलन्) उसकी राजधानी थी।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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