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चोल शासक कुलोत्तुंग तृतीय
कुलोत्तुंग तृतीय चोल शासक राजाधिराज द्वितीय का उत्तराधिकारी था। कुलोत्तुंग तृतीय चोल वंश का अंतिम महान शासक था।1182 ई. में उसने वीरपाण्ड्य को पराजित किया तथा उसे अपनी अधीनता में रहने के लिये बाध्य किया। कुलोत्तुंग ने होयसल तथा चेर राजाओं को भी जीतकर अपनी अधीनता में किया। कुछ समय बाद पाण्ड्यों ने जटावर्मन् कुलशेखर के नेतृत्व में पुनः विद्रोह किया। 1205 ई. में कुलोत्तुंग ने पाण्ड्य राज्य पर आक्रमण किया। उसकी सेना ने मदुरा को लूटा तथा पाण्ड्यों के अभिषेक मंडल को ध्वस्त कर दिया। परंतु कुलशेखर को उसका राज्य पुनः वापस कर दिया गया। कुलोत्तुंग ने तेलगू-चोडों को भी दबाकर अपने नियंत्रण में रखा। उसने 1218 ई. तक शासन किया। उसका काल कला एवं स्थापत्य की उन्नति के लिये भी प्रसिद्ध है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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