इतिहासदक्षिण भारतपल्लव राजवंशप्राचीन भारत
पल्लव वंश के शासक नृपतुङ्ग का इतिहास
कांञ्ची के पल्लव वंश के शासक नंदिवर्मन तृतीय का पुत्र नृपतुङ्ग था। जो 869-880ई. तक शासक रहा। यह भी अपने पिता के ही समान शक्तिशाली राजा था, जिसने अपने साम्राज्य को अक्षुण्य बनाये रखा। बाहूर (पांडीचेरी के समीप) दानपत्र से पता चलता है, कि उसने अरचित नदी के तट पर पाण्ड्यों को पराजित किया था।
बाण राजवंश के लोग उसकी अधीनता स्वीकार करते रहे। वह उदार तथा विद्या-प्रेमी शासक था। बाहुर दानपत्र के अनुसार उसके राज्यकाल के आठवें वर्ष उसके मंत्री ने एक विद्यास्थान को तीन ग्राम दान में दिये थे। यहाँ वेद, वेदांङ्ग, मीमांसा, न्याय, पुराण तथा धर्मशास्त्रों के अध्ययन की समुचित व्यवस्था थी।
पल्लव वंश के बारे में अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी
References:
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक-के.सी.श्रीवास्तव