उत्तर भारत
- अप्रैल- 2021 -17 अप्रैलइतिहास
वर्धन वंश का राजनीतिक इतिहास की स्लाइड
गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद उत्तर भारत के राजवंशों में थानेश्वर का पुष्यभूति राजवंश सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं शक्तिशाली था।…
Read More » - 16 अप्रैलइतिहास
थानेश्वर के वर्द्धन वंश को जानने के लिए इतिहास के साधन की स्लाइड
गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद उत्तर भारत के राजवंशों में थानेश्वर का पुष्यभूति राजवंश सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं शक्तिशाली था।…
Read More » - फरवरी- 2020 -29 फ़रवरीइतिहास
दक्षिण भारत में प्रागैतिहासिक काल
उत्तर भारत के ही समान दक्षिण भारत में भी मानव सभ्यता का प्रारंभ पाषाणकाल से ही हुआ था। सबसे पहले…
Read More » - नवम्बर- 2019 -22 नवम्बरइतिहास
गहङवाल (राठौङ) राजवंश की जानकारी प्रदान करने वाले इतिहास के स्रोत
गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के पतन के बाद उत्तर भारत की राजनीतिक दशा - हर्ष वर्धन की मृत्यु के बाद प्रतिहारों ने…
Read More » - 6 नवम्बरइतिहास
गुर्जर-प्रतिहारों का इतिहास में क्या योगदान था
रामभद्र के पुत्र मिहिरभोज के राज्यारोहण के साथ ही प्रतिहारों की शक्ति दैदीप्यमान हो गयी। उसने अपने वंश का वर्चस्व…
Read More » - 4 नवम्बरइतिहास
सामंती व्यवस्था का उल्लेख करने वाले स्रोत
बाण अपने हर्षचरित में अनेक प्रकार के सामंतों का उल्लेख करते हैं। इनमें से, सामंत सबसे छोटा साधारण अधीनस्थ होता…
Read More » - 3 नवम्बरइतिहास
हर्ष की मृत्यु के बाद कन्नौज की स्थिति कैसी थी
हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद उत्तर भारत में राजनीतिक विकेन्द्रीकरण एवं विभाजन की शक्तियाँ एक बार पुनः सक्रिय हो गयी।…
Read More » - अक्टूबर- 2019 -30 अक्टूबरइतिहास
वर्धन वंश का राजनैतिक इतिहास
गुप्त साम्राज्य का पतन 550 ईस्वी में हुआ था। उसी समय से वर्धन वंश का उदय हो जाता है।
Read More » - 16 अक्टूबरइतिहास
हर्षवर्धन तथा बलभी का युद्ध
हर्ष का दद्द से युद्ध करने तथा पुलकेशन द्वितीय का इस युद्ध में दद्द की सहायता करने में योगदान देने…
Read More » - 13 अक्टूबरप्राचीन भारत
थानेश्वर के वर्द्धन वंश को जानने के लिए इतिहास के साधन
र्षचरित में 8 अध्याय अथवा खंड हैं। इन्हें उच्छवास कहा जाता है। प्रथम तीन में बाण ने अपनी आत्मकथा लिखी
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