भोज
- दिसम्बर- 2019 -24 दिसम्बरइतिहास
त्रिपुरी (डाहल) के कलचुरि वंश का इतिहास
कलचुरी वंश के इतिहास में त्रिपुरी का डाहल कलचुरि वंश सबसे महत्त्वपूर्ण वंश था। इसने मध्य भारत पर तीन शताब्दियों…
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परमार भोज के उत्तराधिकारी तथा परमार सत्ता का अंत
नरवर्मा का उत्तराधिकारी उसका पुत्र यशोवर्मा (1133-1142 ईस्वी) हुआ। उसके समय चालुक्यों के आक्रमण के कारण मालवा की स्थिति काफी…
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परमार शासक भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ
भोज स्वयं विद्वान था तथा उसकी उपाधि कविराज की थी। उसने ज्योतिष, काव्य शास्र, वास्तु आदि विषयों पर महत्त्वपूर्ण ग्रंथों…
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मालवा के परमार शासक भोज का इतिहास
उदयपुर प्रशस्ति से हमें भोज की राजनैतिक उपलब्धियों के बारे में सूचना प्राप्त होती है। इस प्रशस्ति के अनुसार भोज…
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परमार वंश का पतन क्यों हुआ था
भोज अपने जीवन के अंतिम दिनों में अपने साम्राज्य की रक्षा नहीं कर सका तथा उसे भारी असफलताओं का सामना…
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परमार राजा भोज के द्वारा किये गये युद्ध एवं विजयें
भोज का सर्वप्रथम संघर्ष कल्याणी के चालुक्यों के साथ हुआ। प्रारंभ में उसे सफलता मिली। तथा गोदावरी नदी के आस-पासका…
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शाकंभरी के चौहान वंश का राजनैतिक इतिहास
जांगलदेश के पहले राजा का नाम वासुदेव था। जिसने अजमेर के उत्तर में सांभर (शाकंभरी) क्षेत्र पर अपना अधिकार कर…
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चौहान शासक गोविंदराज द्वितीय
चौहान शासक दुर्लभराज द्वितीय के बाद उसका पुत्र गोविंदराज द्वितीय राजा बना, जिसे वैरिधरट्ट अर्थात् शत्रुओं को नष्ट करने वाला…
Read More » - नवम्बर- 2019 -23 नवम्बरइतिहास
राठौङ शासक चंद्रदेव का इतिहास में योगदान
गहङवाल वंश की स्वतंत्रता का जनक चंद्रदेव था। कन्नौज से उसके चार अभिलेख मिलते हैं, जो दानपत्र के रुप में…
Read More » - 20 नवम्बरइतिहास
गुर्जर-प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल प्रथम
महेन्द्रपाल प्रथम की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मगध तथा उत्तरी बंगाल की विजय थी। महेन्द्रपाल प्रथम विद्वानों का उदार संरक्षक था।
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