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लोक देवता पाबूजी राठौङ

लोक देवता पाबूजी राठौङ

पाबू, हङबू, रामदेव-मांगलिया मेहा।
पांचू पीर पधारज्यो गूगा जी जेहा।।

इण दोहे में जिके पांच पीरां नै आवण रौ न्यंतौ दियौ गयौ है, उणमें पाबूजी पैली न्यूंतीजै है। पाबूजी रो जलम जोधपुर जिले री फलौदी तहसील रै ठिकाणे कोलू में विक्रमी संवत् 1313 में हुयौ बतावै। हालांकि पाबूजी री जलम तिथि रै समय रै बारे में इतिहासकार एक मत नीं है।

कैई इणा रौ जलम विक्रमी संवत् 1296 बतावै तो केई विक्रमी संवत् 1356 बतावै। मारवाङ रै राठौङा री चौथी पीढी मांय धांधल्लजी राठौङ हुया हा जिकां री दूसरी घरवाली री कोख सूं पाबूजी रौ जलम हुयौ। पाबूजी बालपणै सूं ही घणे जीवतट अर हिम्मतवाला हा। अेकला ही सांडणी माथै सढ र सिकार करण नै चल्या जावतां अर तीर कमाण सूं सिंग रौ सिकार कर लैवता। बालपण सूं ई वे जांत-पांत रै भेद खिलाफ हा। वै नीची जात रै लोगां रै घरां जांवता अर वारै टाबरां नै आपरा भायला बणाय लेंवता।

उण बगत रै एक सामंत आना बाघेला रै डर सूं भाग्यौङा सात भीलां नै कठैई सरण नीं मिल रैयी है, पाबूजी बां सातूं भील भाईयां नै आपरै डेरे में सरण दीवी। इण कारण भील सरदार चांदो पाबूजी कनै आयग्यौ अर अंत बगत ताईं पाबूजी रै साथै इज रैयो।

पाबूजी री वीरता रा किस्सा

पाबूजी राठौङ री वीरता रा घणाई किस्सा है, पण अठै कीं खास किस्सा जाणकारी खातर दिया जाय रैया है। बां दिनां में मारवाङ री चारणी देवल दे खनै एक चमत्कारी घोङी हुया करती जिकी रौ नांव केसर हो। उण बगत रै हरैक राजा महाराजारी आ इच्छा रैंवती कै केसर उणानैं मिल जावै, पण देवलदे सगलां नै मना कर देंवती। पाबूजी नै जद आ बात ठा पङी तो बै भी देवलदे कनै पूग्या अर केसर मांगी। देवलदे पैला सूं ई पाबूजी री वीरता रा केई किस्सा सुण राख्या हा, इण कारण वा पाबूजी नै केसर देवण नै त्यार हुगी पण वा एक सरत राखी कै पाबूजी नै सदा ई गऊ माता री रक्षा करनी पङसी। पाबूजी इण खातर त्यार हुयग्या अर केसर नै लैर र आपरै ठिकाणै आयग्या।

उण बगत हिन्दुस्तान में पठान, तुरक,अफगान इत्याद मुसलमान आतताई अत्याचार करता हा। अ लोग किसानां री फसलां लूट लेंवता, गऊवां नै उठा र ले देवतां, मिंदर तोङ जांवता अर लुगायां नै भी उठा र लैय जांवता। पाबूजी आं आतताईयां नै मिटावण रौ संकल्प लियौ अर धीरै-धीरै बै कैई लुटेरां रो खातमो कर दियौ। बै बधता-बधता ठेठ मुलतान तांई पूग्या। मुलतान सूं पाछा आंवती बगत पाबूजी अमरकोट रूक्या (अमरकोट अबै पाकिस्तान मांय है।) अमरकोट रा सोढा राणा सूरजमल पाबूजी री वीरता सूं घणा प्रभावित हा। बै पाबूजी रै सामनै आपरी बेटी फूलमदे सूं ब्याव करण रौ प्रस्ताव राख्यौ। पाबूजी इण प्रस्ताव नै मान लियौ अर कह्यौ कै पैली म्हारी भतीजी रौ ब्यांव हुय जावै, पछै म्हें बरात ले र आसूं।

पाबूजी पाछा कालू आयग्या। भतीजी रौ ब्यांव बङे ठाठ-बाट सूं करयौ। पछै पाबूजी री बरात अमरकोट पूगी। बरात मांय जांवतां वेला भी पाबूजी रस्ते में गऊवां री रिक्षा करता गिया। सरूआती रीति-रिवाजां रै पूरो हुयौ पाछै पाबूजी ब्याव रै मंडप मांय बैठ्या। हाल तांई चौथौ फेरौ ई नीं हुयौ हो कै खबर मिली कै दूदो सूमरा अमरकोट माथै हमलो कर दियौ है अर सूमरा रा सिपाई गऊवां नै ले जाय रैया है।

पाबूजी नै चारणी देवलदे नै दियाङौ गऊ रिक्षा रो वचन याद हो, बै उणी बगत फैरा छोङ र उठग्या अर केसर माथै चढ र दूदा सूमरा सूं जुध करण खातर रणभूमि जा पूग्या। अमरकोट रा सिपाईयां रो मुकाबलो करयौ। अंत मांय सूमरा नै गऊवां छोङ र भागणौ पङयौ। ईं जुध में पाबूजी वीरगति पाई। लोक कथावां मांय सूमरा नै रावण अर पाबूजी नै लिच्छमण रौ अवतार मान र कथावां सुणाई जावै।

इण भांत गऊ माता री रक्षा रै वचन रौ पालण करता थकां पाबूजी वीरगति पाई। समाज सूं भेदभाव अर समाज में समरसता लावण रारू करीजी उणां री कोसिसां रै कारण ई पाबूजी राठौह जनमानस मांय लोक देवता रै रूप में थरपीजग्या अर पूजीजण लाग्या। पाबूजी री कोसिसां सूं ई उण बगत मुसलमान आतताईयां सूं नीची जातवाला लोगां री रक्षा हुई अर उणां नै हिन्दू समाज मांय बराबरी रौ दरजौ मिलयौ।

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