प्राचीन भारत
- सितम्बर- 2019 -11 सितम्बर
एरण के विष्णु मंदिर का इतिहास
इसके मुख, पेट, पैर आदि समस्त अंगों में देव प्रतिमाएँ उत्कीर्ण की गई हैं। विष्णु मंदिर के सामने 47 फुट…
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वाकाटक शासक प्रवरसेन द्वितीय
वह वैष्णव धर्मानुयायी था। अपने शासन के अंत में प्रवरसेन ने प्रवरपुर नामक एक नई राजधानी स्थापित की, जहाँ उसने…
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वाकाटक शासक नरेन्द्रसेन का इतिहास
इस प्रकार नरेन्द्रसेन ने नलों की शक्ति का विनाश किया। उसके इस कार्य से वाकाटकों की प्रतिष्ठा बढ गयी। वाकाटक…
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पृथ्वीषेण द्वितीय का इतिहास
पृथ्वीषेण द्वितीय वाकाटकों की प्रधान शाखा का अंतिम शासक था। उसके बाद उसका राज्य बासीम शाखा के हरिषेण के हाथों…
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एरण का अभिलेख किसका है
एरण से एक अन्य अभिलेख प्राप्त हुआ है, जो 510 ई. का है। इसे 'भानुगुप्त का अभिलेख' कहते हैं।
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तिगवा के विष्णु मंदिर का इतिहास
गुप्तयुगीन वास्तुकला के सर्वोत्तम उदाहरण मंदिर हैं। वस्तुतः मंदिर के अवशेष हमें गुप्त काल में ही मिलते हैं। गुप्त काल…
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गुप्त काल में चित्रकला का इतिहास
औरंगाबाद जिले में जलगाँव नामक रेलवे स्टेशन से पैंतीस मील की दूरी पर फर्दापुर नामक एक ग्राम है। यही से…
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गुप्त काल में मूर्तिकला का इतिहास
एकमुखी शिवलिंग भूमरा के शिवमंदिर के गर्भगृह में स्थापित है। इन मूर्तियों को मुखलिंग कहा जाता है। मुखलिंगों के अलावा…
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गुप्त काल में साहित्य तथा विज्ञान का विकास
हरिषेण सम्राट समुद्रगुपत् का सेनापति एवं विदेश सचिव था। उसकी सुप्रसिद्ध कृति प्रयाग-प्रशस्ति है, जिसे इसमें काव्य कहा गया है।…
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गुप्तों का धार्मिक जीवन
कुमारगुप्त प्रथम के काल में बुद्ध, सूर्य, शिव आदि की उपासना को समान रूप से राज्य की ओर से प्रोत्साहन…
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