इतिहासचंदेल वंशप्राचीन भारत

चंदेल शासक हर्ष का इतिहास

900 ई. तक चंदेलों ने प्रतिहारों की अधीनता में शासन किया तथा धीरे-2 अपनी शक्ति का विस्तार करते रहे। राहिल का पुत्र तथा उत्तराधिकारी हर्ष जो 900ईस्वी से 925ईस्वी तक शासक बना रहा, एक शक्तिशाली शासक था, जिसके समय में चंदेलों ने प्रतिहारों की दासता का जुआ फेंक दिया था। खजुराहो लेख में उसे परमभट्टारक कहा गया है, जो उसकी स्वतत्र स्थिति को द्योतक है। नन्यौरा पत्र से पता चलता है, कि अपने शत्रुओं को पराजित करने के बाद हर्ष ने संपूर्ण पृथ्वी की रक्षा की।

Prev 1 of 1 Next
Prev 1 of 1 Next

खजुराहो लेख के अनुसार उसने प्रतिहार शासक क्षितिपाल (महीपाल) को पुनः कन्नौज की गद्दी पर बैठाया। ऐसा प्रतीत होता है, कि महीपाल को राष्ट्रकूट नरेश इंद्र तृतीय ने परास्त कर कन्नौज की गद्दी से उतार दिया था, परंतु चंदेल हर्ष की सहायता पाकर वह पुनः कन्नौज जीतने में सफल हुआ।

हर्ष ने अपने समकालीन दो राजवंशों – चौहान तथा कलचरि के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित कर अपनी स्थिति सुदृढ कर ली। उसने अपने वंश की कन्या नट्टादेवी का विवाह कलचुरि नरेश कोक्कल के साथ तथा स्वयं का विवाह चाहमान वंश की कन्या कंचुका के साथ किया था।

कलचुरि राष्ट्रकूटों के भी संबंधी थे और कोक्कल ने अपनी कन्या का विवाह राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण द्वितीय के साथ किया था। इस प्रकार हर्ष को कलचुरियों के साथ-साथ राष्ट्रकूटों का भी समर्थन प्राप्त हो गया। अपने प्रतिहार अधिपति को खुली चुनौती दिये बगैर ही हर्ष ने धीरे-2 अपनी आंतरिक एवं बाह्य शक्ति काफी मजबूत बना ली थी। हर्ष वैष्णव धर्मावलंबी था।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

India Old Days : Search

Search For IndiaOldDays only

  

Related Articles

error: Content is protected !!