महाराजाधिराज
- अक्टूबर- 2019 -30 अक्टूबरइतिहास
वर्धन वंश का राजनैतिक इतिहास
गुप्त साम्राज्य का पतन 550 ईस्वी में हुआ था। उसी समय से वर्धन वंश का उदय हो जाता है।
Read More » - 24 अक्टूबरइतिहास
हर्ष की प्रशासन व्यवस्था कैसी थी
बंसखेङा तथा मधुबन के दानपत्रों में हर्ष अपनी प्रजावत्सल भावनाओं को इस प्रकार व्यक्त करता है -
Read More » - 13 अक्टूबरइतिहास
वर्धन वंश के शासक प्रभाकरवर्धन का इतिहास
प्रभाकरवर्द्धन एक शक्तिशाली राजा था। उसकी उपलब्धियों का विवरण बाण के हर्षचरित में इस प्रकार से मिलता है - वह…
Read More » - 10 अक्टूबरइतिहास
मौखरि शासक सर्ववर्मा का इतिहास
देवबर्नाक के लेख के अनुसार सर्ववर्मा ने वारुणीक नामक ग्राम दान में दिया था, जो उस समय मगध क्षेत्र में…
Read More » - 10 अक्टूबरइतिहास
मौखरि शासक ईशानवर्मा का इतिहास
हरहा अभिलेख ईशानवर्मा की विजयों का विवरण इस प्रकार देता है - उसने आंध्राधिपति को जिसकी सेना में सहस्रों मतवाले…
Read More » - 4 अक्टूबरइतिहास
गुप्तोत्तर शासक कुमारगुप्त का इतिहास
अफसढ लेख से पता चलता है, कि उसने प्रयाग में अपना प्राणांत किया। धंग तथा गांगेयदेव जैसे शासकों ने भी…
Read More » - सितम्बर- 2019 -25 सितम्बरइतिहास
बलभी का मैत्रक वंश
ध्रुवसेन द्वितीय बालादित्य राजा हुआ। वह हर्ष का समकालीन था। उस के काल में हुएनसांग भारत आया था। उसके अनुसार…
Read More » - 1 सितम्बरगुप्त काल
गुप्त काल की शासन व्यवस्था कैसी थी
राजा का बङा पुत्र उत्तराधिकारी चुना जाता था। सम्राट के छोटे पुत्रों को प्रांतीय शासकों के रूप में नियुक्त करने…
Read More » - अगस्त- 2019 -31 अगस्तप्राचीन भारत
कुमारगुप्त तृतीय का इतिहास
नालंदा से प्राप्त एक मुद्रालेख में विष्णुगुप्त का लेख मिलता है, जो उसका पुत्र था। विष्णुगुप्त ने 550 ईस्वी तक…
Read More » - 30 अगस्तगुप्त काल
वैन्यगुप्त का इतिहास
गुणैधर ताम्रपत्र में उसके दो प्रांतीय शासकों - विजयसेन एवं रुद्रदत्त के नाम मिलते हैं तथा बौद्ध विहार के लिये…
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