इतिहासप्राचीन भारतसंवत्

इतिहास के प्रमुख संवत्

इतिहास के प्रमुख संवत्

प्राचीन भारतीय लेखों में उल्लेखित अधिकांश तिथियाँ किसी न किसी संवत् से सम्बद्ध हैं। मुख्य रूप से हमें प्राचीन भारत में निम्नलिखित संवतों के प्रचलन का ज्ञान मिलता है-

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विक्रम संवत्

विक्रम संवत्( vikram sanvat ) के प्रवर्त्तक के विषय में गहरा मतभेद है। जैनग्रन्थ इसे मालवा के शासक विक्रमादित्य से सम्बन्धित करते हैं जिसने 57 ईसा पूर्व में शकों को पराजित करने के उपलक्ष्य में इसे प्रवर्वित किया था। उनका शासन सतयुग के समान सुख एवं समृद्धि से भरा हुआ था। …..अधिक जानकारी

शक संवत्

जैनग्रन्थों के अनुसार विक्रमादित्य (57 ईसा पूर्व) के उत्तराधिकारी को उसके 135वें वर्ष में शकों ने पराजित कर उसके राज्य पर अधिकार कर लिया। इस विजय के उपलक्ष्य में उन्होंने अपना संवत् चलाया जिसे ‘शक – संवत्’ कहा जाता है। इस प्रकार शक – संवत् की प्रारम्भिक तिथि 135 -57=78 ईस्वी निकलती है। ….. अधिक जानकारी

गुप्त संवत्

चक्रवर्ती गुप्त राजाओं तथा उनके सामन्तों के लेखों में गुप्तसंवत् का प्रयोग मिलता है। इसे ‘गुप्त प्रकाल’ नाम दिया गया है। इसकी स्थापना गुप्त वंश के शासक चन्द्रगुप्त प्रथम (Chandragupta I)ने 319 ईस्वी में की थी। ….. अधिक जानकारी

बलभी संवत्

बलभी संवत् ( balabhee sanvat )के विषय में अल्बेरूनी के विवरण से सूचना मिलती है। वह लिखता है कि बलभ नामक राजा ने शक – काल के 241 वर्ष के बाद बलभी संवत् का प्रवर्त्तन किया था। इस प्रकार इसकी स्थापना तिथि 78+281=319 ईस्वी निकलती है। ….. अधिक जानकारी

हर्ष संवत्

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि हर्ष संवत् का संबंध वर्धन वंश (Vardhan Dynasty)के शासन हर्षवर्धन से है । हर्ष के लेखों राज्यारोहण की तिथि 606 ईस्वी है। अत: हर्ष – संवत् का प्रारम्भ भी इसी समय में हुआ होगा। ….. अधिक जानकारी

कलचुरि चेदि संवत्

मूलत: इसकी स्थापना 248 – 249 ईस्वी के लगभग पश्चिमी भारत के अधीन नरेश ईश्वरसेन द्वारा की गयी थी। कालान्तर में कलचुरियों ने उसे अपना प्रश्रय प्रदान कर दिया। …. अधिक जानकारी

Reference : https://www.indiaolddays.com

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