प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल नासिक
महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के तट पर यह स्थान है जिसकी दूरी नासिक रोड़ स्टेशन से पाँच मील है। शक–सातवाहन युग में यह बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल था। यहाँ से बौद्ध-गुफाओं का एक समूह मिला है। इन्हें बौद्ध भिक्षुओं के आवास के लिए निर्मित करवाया गया था। यहाँ कुल 17 गुफाओं का निर्माण हुआ जिनमें 16 विहार तथा एक चैत्य हैं।
प्राचीनतम विहार में सातवाहन नरेश कृष्ण का एक लेख मिलता है। यह छोटा है। बड़े विहारों में ‘नहपान विहार’ प्रथम है जिसमें 16 कोठरियाँ बनी है। इसमें नहपान के दामाद उषावदात का एक लेख मिलता है जिससे पता लगता है कि उसने बौद्ध संघ को एक विहार दान में दिया था। इसके अतिरिक्त सातवाहन नरेशों – गौतमीपुत्र शातकर्णि तथा यज्ञश्री – के समय के भी एक-2 विहार यहाँ से मिलते है।
नासिक के चैत्यगृह का निर्माण प्रथम शती ईसा पूर्व में हुआ था। इसके मण्डप में सीधे खम्भे लगे है। उत्कीर्ण ब्राह्मी लेख में दानकर्त्ताओं के नाम है। इसे ‘पाण्डु-लेख’ कहा जाता है। नासिक का एक प्राचीन नाम गोवर्धन भी था। जैन तीर्थों में भी नासिक की गणना की गयी है। रामायण की कथाओं से सम्बन्धित कई स्थल भी यहाँ विद्यमान है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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