चोल शासक परान्तक प्रथम का इतिहास
परांतक नामक शासक चोल शासक आदित्य प्रथम का पुत्र था। आदित्य प्रथम की मृत्यु के बाद परांतक शासक बना था। उसने अपने पिता की साम्राज्यवादी नीति को जारी रखा। उसने मदुरा के पाण्ड्य शासक राजसिंह द्वितीय पर आक्रमण किया। पाण्ड्य नरेश ने सिंहल के राजा की सहायता प्राप्त की परंतु परांतक ने दोनों की सम्मिलित सेनाओं को बेल्लूर के युद्ध में हरा दिया। मदुरा पर परांतक का अधिकार हो गया तथा उसे मदुरैकोण्ड की उपाधि ग्रहण की। उसने पल्लवों की बची-खुची शक्ति को समाप्त किया, और बैदुम्बों तथा बाँणों को जीता। इस प्रकार 930 ई. तक परांतक ने पश्चिमी घाट के चेर राज्य को छोङकर उत्तरी पेन्नार से कुमारी अंतरीप तक के संपूर्ण प्रदेश पर अपना एकछत्र अधिकार स्थापित कर लिया।
परंतु परांतक को अपने शासन काल के अंत में राष्ट्रकूटों से पराजित होना पङा। राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय ने गंङ्ग राज्य को जीतने के बाद चोल राज्य पर आक्रमण किया। तक्कोलम् के युद्ध में उसने चोल सेना को बुरी तरह परास्त कर तोण्डमंडलम् पर अधिकार कर लिया। इससे परांतक की प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुँचा। उसका साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया, क्योंकि उत्तर तथा दक्षिण के सामंतों ने इस विपत्ति का लाभ उठाते हुये अपनी-अपनी स्वाधीनता घोषित कर दी।
परांतक की मृत्यु के बाद तीस वर्षों (955-958ई.) का काल चोल राज्य के लिये दुर्बलता एवं अव्यवस्था का काल रहा। उसके उत्तराधिकारी मंदरादित्य की रुचि धार्मिक कार्यों में अधिक थी। उसकी मृत्यु के समय (957ई.)चोल राज्य अत्यन्त संकुचित हो गया। इसके बाद परान्तक द्वितीय (957-973ई.)राजा बना। उसने अपने पुत्र आदित्य द्वितीय को युवराज बनाया। उसने वीर पाण्ड्य को पराजित किया तथा उसकी सेना ने सिंहल पर भी आक्रमण किया। परान्तक द्वितीय के शासन काल के अंत तक चोलों ने राष्ट्रकूटों से तोण्डमंडलम् को जीतकर अपने अधिकार में कर लिया।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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