UGC NET यूजीसी नेट प्रवेश परीक्षा पैटर्न और सलेब्स

यूजीसी नेट (UGC Net) की परीक्षा एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है। इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा सन 1956 में की गई थी और इसका मुख्यालय दिल्ली है। यह परीक्षा पोस्ट ग्रैजुएट विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय में शिक्षक बनाने की पात्रता देती है। इस परीक्षा में पास होने के बाद परीक्षार्थी पीएचडी करने के साथ-साथ पूरे भारत में किसी भी यूनिवर्सिटी में शिक्षक बनने के योग्य हो जाते हैं। यह परीक्षा पोस्ट ग्रैजुएट में शामिल सभी विषयों पर आयोजित की जाती है,आप अपने पसंद के विषय के हिसाब से इसकी तैयारी कर सकते हैं। यह परीक्षा ऑनलाइन कम्प्यूटर पर होती है।

यूजीसी नेट के लिए विश्वविद्यालय 

नेट करवाने वाले विश्वविद्यालयों की संख्या 920 हैं जो निम्न प्रकार है- यह संख्या 2019 के आकड़ों से ली गई है।

  • राज्य विश्वविद्यालय : 404
  • विश्वविद्यालय : 126
  • केंद्रीय विश्वविद्यालय: 50
  • निजी विश्वविद्यालय: 340

नेट परीक्षा के लिए शिक्षण योग्यता

आप इस परीक्षा में सम्मिलित होना चाहते हैं तो आपके पोस्ट पोस्ट ग्रेजुएशन में 55% अंक होने चाहिए और अगर आपका पोस्ट ग्रैजुएट का लास्ट ईयर चल रहा है तो भी आप इस परीक्षा में सम्मलित हो सकते हैं, इसके साथ ही इसमें आरक्षित वर्ग के लिए 5% अंक की छूट दी गई है।

नेट प्रवेश परीक्षा पैटर्न

यह परीक्षा एक वर्ष में दो बार जून और दिसम्बर महीने में आयोजित की जाती है जिसका नोटिफिकेशन आपको इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर मार्च और सितम्बर में ही मिल जायेगा। इस परीक्षा में 2 पेपर होते हैं पहला प्रश्न पत्र 100 अंकों का होता है जिसमें 50 प्रश्न होते हैं। जबकि दूसरा प्रश्न पत्र 200 अंकों का होता है जिसमें 100 प्रश्न पूछे जाते हैं। इन दोनों प्रश्न पत्रों का समय 3 घंटे का होता है, जिन्हें एक साथ लिया जाता है। हमें इनके बीच बस कुछ समय मिलता है, इन पेपर में सभी प्रश्न वस्तुनिष्ठ होते हैं।

पेपर का नामप्रश्नों की संख्याअंकसमय
पेपर-।501001 घण्टा
पेपर-।। 1002002 घण्टा
कुल1503003 घण्टा

यूजीसी नेट प्रवेश के लिए सलेब्स

UGC NET के लिए दो पेपर होते है। पेपर 1 हर उम्मीदवार के लिए सामान्य और अनिवार्य है। और पेपर ।। अलग -2 विषय के लिए अलग -2 होता है। जो निम्न प्रकार है-

पेपर ।

पेपर 1 में 100 अंकों के 50 प्रश्न होंगे। पेपर 1 के सिलेबस में 10 इकाइयां हैं और प्रत्येक इकाई से बिल्कुल 5 प्रश्न पूछे जाएंगे। पेपर 1 के लिए विस्तृत पाठ्यक्रम नीचे वर्णित है।

  • यूनिट- I शिक्षण योग्यता
  • यूनिट- II अनुसंधान योग्यता
  • यूनिट- III की समझना(Comprehension )
  • यूनिट- IV संचार(Communication)
  • यूनिट- V गणितीय तर्क और योग्यता
  • इकाई- VI तार्किक तर्क
  • यूनिट- VII डेटा इंटरप्रिटेशन
  • यूनिट- VIII सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT)
  • यूनिट- IX लोग, विकास और पर्यावरण
  • यूनिट-X उच्च शिक्षा प्रणाली

पेपर-। का सलेब्स की पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिंक करें

पेपर ।।

पेपर ।। के लिए विषय उम्मीदवार द्वारा चुना जाता है। पेपर 2 में चुने गए विषय के आधार पर विशेष रूप से 100 प्रश्न होंगे। यह पेपर 200 मार्क्स का होता है। NET परीक्षा के 84 विषयों के लिए परीक्षा आयोजित करता है।

हम इस पोस्ट में आपको इतिहास विषय के सलेब्स के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे

संकल्पनाएं, विचार, और अवधियाँ/शब्दालियाँ

भारतवर्ष, सभा और समिति, वर्णाश्रम, वेदान्त, पुरूषार्थ, ऋण, संस्कार, यज्ञ, गणराज्य, जनपद, कर्म का सिन्दात, दणनीति, धर्मविजय, स्तूप, नागर, बौद्धिसत्व, अलवार, श्रेणी, भूमि-छिद्र-विधान-न्याय, कर-भोग-भाग, विष्टि, स्त्रीधन, स्मारक पत्थर, अग्रहार, आइन-इ-दहशसाला, परगना, शाइना-इ-मण्डी, महलवाड़ी, हिन्द स्वराज, वणिकत्ववाद, आर्थिक राष्ट्रवाद, खिलाफत, सुलह-ए-कुल, तुर्कान-ए-चहलगामी, वतन, बलूता, तकावी, इक्ता, जजिया, जकात, मदद-इ-माश, अमरम, राय- देखो, जंगम, मदरसा, चौथ, सराय, पोलिगर, जागीर, दस्तूर, मंसब, देशमुख, नाडु, उलेमा, फरमान, सत्याग्रह, स्वदेशी, पुनः परिवर्तनवाद, सम्प्रदायवाद, प्राच्यवाद, प्राच्य निरकुंशतावाद, वि-औघोगिकीरण, भारतीय पुनर्जारण, आर्थिक अपवहन, उपनिवेशवाद, परमोच्चशक्ति, द्विशासनतंत्र, संघवाद, उपयोगितावाद, फिल्टर सिन्दांत, अग्रवर्ती नीति, राज्य लोप सिन्दात, सहायक सन्धि, सुधर्मवाद, भूदान, पंचशील, मिश्रित अर्थव्यवस्था, समाजवाद, हिन्दू कोड बिल, ऐतिहासिक पद्धतियाँ, साहित्यिक चोरी, इतिहास लेखन में आचार और नैतिकता।

इकाई -।

स्त्रोतों संबंधी वार्ताः पुरातात्विक स्रोत: अन्वेषण, उत्खनन, पुरालेख विद्या तथा मुद्राशास्त्र की जानकारी।
पुरातत्वीय स्थलों का काल निर्धारणः साहित्यिक स्रोत: स्वदेशी साहित्य: प्राथमिक और द्वितीयक: धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष साहित्य, मिथक, दन्त कथाओं आदि का काल निर्धारण की समस्या, विदेशी विवरण: यूनानी, चीनी और
अरबी विद्वान।
पशुचारण और खाद्य उत्पादन: नवपाषाण और ताम्र पाषाण युगः वितरण, उपकरण और विनिमय का ढ़ाँचा।
सिंधु / हड़प्पा सभ्यता: उत्पत्ति, सीमा, प्रमुख स्थल, बस्ती पैटर्न, शिल्प विशेषज्ञता, धर्म, समाज और राजनीति, सिंधु सभ्यता की गिरावट, आंतरिक और बाहरी व्यापार, भारत में पहला शहरीकरण।
वैदिक और उत्तरकालीन वैदिक युग; आर्यों से संबंधित विवाद, राजनीतिक और सामाजिक संस्थाएं, राज्य संरचना और राज्य के सिद्धांत; वर्ण और सामाजिक का उभार स्तरीकरण, धार्मिक और दार्शनिक विचार। लौह प्रौद्योगिकी का परिचय, दक्षिण भारत के महापाषाण।
राज्य शासन व्यवस्था का विस्तार : महाजनपद, राजतंत्रीय और गणतन्रीय राज्य , आर्थिक और सामाजिक विकास और 6वी. शता. ई.पू. दूसरा शहरीकरण का उद्वव, अशस्त्रीयपंथ – जैन धर्म, बौद्ध धर्म और अजिविका सम्प्रदायों का उद्धव।

इकाई-।।

राज्य से साम्राज्य तक: मगध का उदय, सिकंदर और उसके अधीन यूनानी आक्रमण और इसके प्रभाव, मौर्य विस्तार, मौर्य राज्य व्यवस्था, समाज, अर्थव्यवस्था, अशोक का धम्म और इसकी प्रकृति, पतन और मौर्य साम्राज्य का विघटन, मौर्य कालीन कला और वास्तुकला, अशोक के राजादेश : भाषा और लिपि।
साम्राज्य का अन्त और क्षेत्रीय शक्तियों का उद्धव: भारत-यूनानी, शुंग, सातवाहन, कुषाण और शक-क्षत्रप, संगम साहित्य, संगम साहित्य में प्रतिबिम्बत दक्षिण राज्य शासन प्रणाली और समाज।
दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी तक व्यापार एवं वाणिज्य , रोमन के साथ व्यापार, महायान बौद्ध धर्म, खारवेल और जैन धर्म का उद्धव, मौर्यत्तरकाल में कला और वास्तुकला, गांधार, मथुरा और अमरावती शैलियाँ।
गुप्त वाकाटक युग: राजनीति और समाज, कृषि अर्थव्यवस्था, भूमि अनुदान, भूमि राजस्व और भूमि अधिकार, गुप्त सिक्के, मंदिर वास्तुकला की शुरुआत, पुराण हिंदू धर्म का उदय, संस्कृत भाषा का विकास और साहित्य, विज्ञान प्रौद्योगिकी, खगोल विज्ञान, गणित और में विकास।
हर्ष और उसका टाइम्स: प्रशासन और धर्म।
आंध्र देश में सालांकेयन और विष्णुकुंडीय वंश।

इकाई-।।।

क्षेत्रीय राज्यों का उदय: दक्षिण में राज्य: गंग, कदम्ब वंश, पश्चिमी और पूर्वी चालुक्य वंश, राष्ट्रकूट, कल्याणी चालुक्य, काकतीय, होयसल और यादव वंश।
दक्षिण भारत में साम्राज्य: पल्लव, चेर, चोलऔर पांड्य वंश।
पूर्वी भारत में साम्राज्य : बंगाल के पाल और सेन, कामरुप के वर्मन, उडीसा के भौमाकार और सोमवंशी।
पश्चिमी भारत में साम्राज्य : वल्लभी के मैत्रिक और गुजरात के चालुक्य वंश।
उत्तरी भारत के साम्राज्य : गुर्जर-प्रतिहार, कलचुरी-चेदि, गहड़वाल वंश और परमार वंश, प्रारंभिक मध्यकालीन भारत के विश्षताएं : प्रशासन और राजनीतिक ढ़ाँचा, राजतंत्र का वैधीकरण।
कृषि अर्थव्यवस्था; भूमि अनुदान, बदलते उत्पादन संबंधी ; श्रेणीवाद अधिकार और किसान, जल संसाधन, कराधान प्रणाली, सिक्के और मुद्रा प्रणाली।
व्यापार और शहरीकरण: व्यापार का ढ़ाचा और शहरी बस्तियों का स्वरूप, पत्तन और व्यापार मार्ग व्यापारी माल और विनिमय, व्यापार संघ; दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापार और उपनिवेशीकरण।
ब्राह्मणीय धर्मों का विकास: वैष्णववाद और शैववाद; मंदिर; संरक्षण और क्षेत्रीय बहुशाखन; मंदिर वास्तुकला और काल क्षेत्रीय शैलियाँ, दान, तीर्थ और भक्ति, तमिल भक्ति आंदोलन – शंकरा, माधव और रामानुजाचार्य।
समाज: वर्ण, जाति और जातियों का प्रचुरोद्ववन , महिलाओं की स्थिति; लिंग, विवाह और संपत्ति संबंध; सार्वजनिक जीवन में महिलाएँ, किसानों के रूप में जनजातियों और वर्ण व्यवस्था में उनका स्थान, अस्पृश्यता।
शिक्षा और शैक्षिक संस्थाएं: शिक्षा के केन्द्रों के रूप में अग्रहार, मठ और महाविहार।
क्षेत्रीय भाषाओं का विकास।
प्रारंभिक मध्यकालीन भारत में राज्य निर्माण की चर्चाएं : (अ) सामन्त माॅडल (ब) खंडीय माॅडल (स) समन्वयी मा्ॅडल
अरब के साथ साथ सम्बन्ध : सुलेमान गजनवी विजय, अलबरूनी का यात्रा विवरण।

इकाई-।V

मध्यकालीन भारतीय इतिहास का स्रोत: पुरातात्विक, पुरालेखीय और शास्त्रीय स्रोत, भौतिकी साक्ष्य और स्मारक; इतिवृत; साहित्यिक स्रोत – फ़ारसी, संस्कृत और क्षेत्रीय भाषाएँ; दफ्तार खाना: फरमान, बहियां / पोथियां / अखबारात; विदेशी यात्रियों के वृतांत- फ़ारसी और अरबी।
राजनीतिक घटनाए – दिल्ली सल्लतन, गोरी, तुर्क, खलजी, तुगलक, सैय्यद और लोदी। दिल्ली सल्लनत का ह्रास।
मुगल साम्राज्य की नींव – बाबर, हुमायूँ और सूरी; विस्तार और अकबर से औरंगज़ेब तक एकीकरण। मुगल साम्राज्य का पतन। उत्तरकालीन मुगल साम्राज्य का विघटन।
विजयनगर और बहमनियाँ – दक्षिण सल्लतन बीजापुर, गोलकुंडा, बीदर, बरार और अहमदनगर – उदय, विस्तार और विघटन; पूर्व का गंग और सूर्यवंशी गजपति।
मराठों का उत्थान और शिवाजी द्वारा स्वराज की स्थापना; पेशवाओं के अधीन इसका विस्तार; मुगल – मराठों के संबंध, मराठा राज्ससंघ,पतन के कारण।

इकाई-V

प्रशासन और अर्थव्यवस्था: सल्तनत के समय में प्रशासन, राज्य की स्वरूप- धर्मतंत्रीय और ईशकेन्द्रीय, केंद्रीय, प्रांतीय और स्थानीय प्रशासन, उत्तराधिकार का नियम।
शेरशाह के प्रशासनिक सुधार; मुगल प्रशासन – केन्द्रीय, प्रांतीय और स्थानीय: मंसबदारी पद्धतियाँ। दक्षिण में प्रशासनिक प्रणाली- विजयनगर राज्य और षासन व्यवस्था, बहमनी प्रशासनिक प्रणाली; मराठा प्रशासन – अष्ट प्रधान।
दिल्ली सल्तनत और मुगलों के शासनकाल में सरहद सम्बन्धी नीतियां।
सल्तनत और मुगलों के दौरान अंतर्राज्य संबंध।
कृषि उत्पादन और सिंचाई प्रणाली, ग्राम अर्थव्यवस्था, किसान, अनुदान और कृषि ऋण, शहरीकरण और जनसांख्यिकीय ढ़ाँचा।
उद्योग – सूती वस्त्र, हस्तशिल्प, कृषि-आधारित उद्योग, संगठन, कारखानों और प्रौद्योगिकी।
व्यापार और वाणिज्य – राज्य नीतियां, आंतरिक और बाहरी व्यापार: यूरोपीय व्यापार, व्यापार केंद्र और बंदरगाह, परिवहन और संचार।
हुंडी (विनिमय पत्र) और बीमा, राज्य की आय और व्यय, मुद्रा, टकसाल प्रणाली; परिवार और किसान विद्रोह।

इकाई-V।

समाज और संस्कृति: सामाजिक संगठन और सामाजिक संरचना।
सूफी – उनके सिलसिले, विश्वास और प्रथाएँ, प्रमुख सूफी संत, सामाजिक समलीकरण।
भक्ति आंदोलन – शैववाद; वैष्णववाद, शक्तिवाद।
मध्ययुगीन काल के संत – उत्तर और दक्षिण के संत, समाज-सामाजिक और धार्मिक जीवन पर उनके प्रभाव मध्यकालीन भारत की संत स्त्री।
सिख आंदोलन – गुरु नानक देव: उनकी शिक्षाओं और प्रथाओं, आदिग्रंथ; खालसा।
सामाजिक वर्गीकरण: शासक वर्ग, प्रमुख धार्मिक समूह, उलेमा, व्यापारी और पेशेवर वर्ग – राजपूत समाज।
ग्रामीण समाज – छोटे सामन्त, ग्राम कर्मचारी,
गैर-कृषक वर्ग, शिल्पकार।
महिलाओं की स्थिति – ज़नाना व्यवस्था- देवदासी व्यवस्था ।
शिक्षा का विकास, शिक्षा के केन्द्र और पाठ्यक्रम, मदरसा शिक्षा।
ललित कलाएं – चित्रकला के प्रमुख शैलियाँ – मुगल, राजस्थानी, पहाड़ी, गढ़वाली; संगीत का विकास।
कला और वास्तुकला, इंडो-इस्लामिक वास्तुकला , मुगल वास्तुकला , क्षेत्रीय वास्तुकला की शैलियाँ।
इंडो-अरबी वास्तुकला, मुगल गार्डन, मराठा किले, तीर्थ और मंदिर।

इकाई-V।।

आधुनिक भारतीय इतिहास के स्रोत: अभिलेखागारीय सामग्री, जीवन चरित्र और संस्मरण, समाचार पत्र, मौखिक साक्ष्य, रचनात्मक साहित्य और चित्रकारी, स्मारक, सिक्के।
ब्रिटिश सत्ता का उत्थान:16वीं –
18 वीं शताब्दी के दौरान भारतीय में यूरोपीय व्यापारी – पुर्तगाली, डच, फ्रांसीसी और ब्रिटिश।
भारत में ब्रिटिश डोमिनियन की स्थापना और विस्तार।
प्रमुख भारतीय राज्यों के साथ ब्रिटिश संबंध – बंगाल, अवध, हैदराबाद, मैसूर, कर्नाटक और पंजाब।
1857 का विद्रोह, कारण, प्रकृति और प्रभाव।
कंपनी और क्राउन का प्रशासन; ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत केंद्रीय और प्रांतीय ढ़ाँचे का क्रमिक विकास(1773-1858)।
कंपनी के शासन काल में सर्वाच्च सत्ता, सिविल सेवा, न्यायपालिका, पुलिस और सेना; क्राउन के तहत रियासतों केसर्वाच्च सत्ता के प्रति ब्रिटिश नीति।
स्थानीय स्वसरकार, संवैधानिक परिवर्तन, 1909 – 1935।

इकाई-V।।।

उपनिवेशिय अर्थव्यवस्था: बदलती संरचना, व्यापार की मात्रा और दिशा।
कृषि का विस्तार और व्याणिज्यकरण, भूमि अधिकार, भूमि बन्दोबस्त, ग्रामीण ऋणग्रस्तता, भूमिहीन श्रम, सिंचाई और सिंचाई और नहर व्यवस्था।
उद्योगों की गिरावट – कारीगरों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बदलना; डी-शहरीकरण; आर्थिक सूखा; विश्व युद्ध और अर्थव्यवस्था।
ब्रिटिश औद्योगिक नीति; प्रमुख आधुनिक उद्योग; फैक्टरी विधान की प्रकृति; श्रम और व्यापार संघ आंदोलन।
मौद्रिक नीति, बैंकिंग, मुद्रा और विनिमय, रेलवे और सड़क परिवहन, संचार – पोस्ट और टेलीग्राफ।
नूतन शहरी केंद्रों का विकास; नगर आयोजन और स्थापत्य कला की नूतन विशेषताएं , शहरी समाज और शहरी समस्याओं।
अकाल, महामारी और सरकारी नीतियाँ।
आदिवासी और किसान आंदोलन।
संक्रमण में भारतीय समाज: ईसाई धर्म के साथ संपर्क – मिशन और मिशनरी; भारतीय सामाजिक और आर्थिक प्रथाओं और धार्मिक विश्वासों की आलोचना; शैक्षिक और अन्य गतिविधियाँ।
नई शिक्षा – सरकार की नीति; स्तर और सामग्री; अंग्रेजी भाषा; विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा का विकास – आधुनिकता की ओर।
भारतीय पुनर्जागरण – सामाजिक-धार्मिक सुधार; मध्यवर्ग का उभार; जाति संघ और जाति गतिशीलता।
महिलाओं से सम्बन्धित प्रश्न – राष्ट्रवादी चर्चा; महिला संगठन; महिलाओं, लिंग पहचान और संवैधानिक स्थिति से संबंधित ब्रिटिश विधान।
प्रिंटिंग प्रेस – पत्रकारिता गतिविधि और लोकमत।
भारतीय भाषाओं और साहित्यिक विधाओं का आधुनिकीकरण – चित्रकला, संगीत और प्रदर्शन कला का पुनस्थापना।

इकाई-X।

भारतीय राष्ट्रवाद का उत्थान: राष्ट्रीयता का सामाजिक और आर्थिक आधार।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा और कार्यक्रम, 1885-1920: प्रारंभिक राष्ट्रवादी, स्वग्रही राष्ट्रवादी और आन्दोलनकारी।
स्वदेशी और स्वराज।
गांधीवादी जन आंदोलन; सुबास चंद्र बोस और आईएनए; राष्ट्रीय आंदोलन में मध्य वर्ग की भूमिका; राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी।
वामपंथी राजनीति।
दलित वर्ग आंदोलन।
सांप्रदायिक राजनीति; मुस्लिम लीग और पाकिस्तान की उत्पत्ति।
स्वतंत्रता और विभाजन की ओर।
स्वतंत्रता के पश्चात् भारत: विभाजन की चुनौतियाँ; भारतीय रियासतों का एकीकरण; कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़।
बी.आर. अम्बेडकर – भारतीय संविधान का निर्माण, इसकी विशेषताएं।
अधिकारी वर्ग का ढ़ाँचा।
नई शिक्षा नीति।
आर्थिक नीतियां और योजना प्रक्रिया; विकास, विस्थापन और जनजातीय मुद्दे।
राज्यों का भाषाई पुनर्गठन; केंद्र-राज्य संबंध।
विदेश नीति सम्बन्धी पहल – पंचशील; भारतीय राजनीति-आपातकाल की गतिशीलता; उदारीकरण, निजीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण।

इकाई-X

ऐतिहासिक प्रणाली, शोध कार्य, पद्धति और इतिहासलेखन।
इतिहास का विषय विस्तार सीमा और महत्व
इतिहास में वस्तुनिष्ठा और पूर्वाग्रह
अन्वेषणात्मक संक्रियता, आलोचना, संश्लेषण और प्रस्तुति
इतिहास और इसके सहायक विज्ञान
इतिहास विज्ञान, कला या एक सामाजिक विज्ञान?
इतिहास में कारण कार्य संबंध और कल्पना।
क्षेत्रीय इतिहास का महत्व
भारतीय इतिहास केआधुनिक प्रवृत्तिया
शोध कार्यप्रणाली
इतिहास में परिकल्पना
प्रस्तावित अनुसंधान का क्षेत्र
स्रोत – आकड़ा का संग्रह-प्राथमिक / माध्यमिक, मूल और पारगमन
इतिहास में शोध प्रवृत्तिया
वर्तमान भारतीय इतिहासलेखन
इतिहास में विषय का चयन
नोट्स लेना, संदर्भ, फुटनोट और ग्रंथ सूची
थीसिस / शोध प्रबन्ध और विशिष्ट कार्य को पूरा करना
साहित्यिक चोरी, बौद्धिक बेईमानी और इतिहास लेखन
ऐतिहासिक लेखन का प्रारम्भ- यूनानी, रोमन एवं गिरजाघर सम्बन्धी इतिहास लेखन
पुनर्जागरण और इतिहास लेखन पर इसका प्रभाव
ऐतिहासिक लेखन के नकारात्मक और सकारात्मक समर्थक
इतिहास लेखन का मार्क्सवादी दर्शन, वी. रेंक
इतिहास का मार्क्सवादी दर्शन – वैज्ञानिक भौतिकवाद
इतिहास का चक्रीय सिद्धांत – औसवाल्ड स्पेंगलर
चुनौती एवं प्रत्युत्तर सिद्धांत – अर्नोल्ड जोसेफ टाॅयनबी
इतिहास में उत्तर- आधुनिकतावाद

पेपर-।। का सलेब्स की पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिंक करें

नोटः गलत प्रश्नों के उत्तर के लिए कोई नकारात्मक अंकन नहीं है।

आयु सीमा

  • जूनियर रिसर्च फैलोशिप के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की आयु 30 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • सहायक प्रोफेसर पद के लिए उम्मीदवारों की कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है।
  • अन्य पिछड़ा वर्ग-एनसीएल/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/पीडब्ल्यूडी/ट्रांसजेंडर/महिला आवेदक – 5 वर्ष की छूट।
  • किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से चयनित क्षेत्र में अनुसंधान के अनुभव वाले उम्मीदवार – 5 वर्ष।
  • एलएलएम डिग्री वाले उम्मीदवार – 3 वर्ष ।

यूजीसी नेट प्रवेश परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क

आवेदन शुल्क उम्मीदवार की श्रेणी के अनुसार भिन्न होता है। उम्मीदवार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में फीस का भुगतान कर सकते हैं

  • सामान्य वर्ग- 1000 रूपये।
  • अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर क्रीमी लेयर) -500 रूपये।
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/पीडब्ल्यूडी -250 रूपये।

ऑनलाइन  लाइन शुल्क भुगतान

  • उम्मीदवार डेबिट कार्ड / क्रेडिट कार्ड और नेट बैंकिंग के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं।
  • उम्मीदवारों को कार्ड, नाम और सीवीवी के शीर्ष पर सोलह अंकों की संख्या दर्ज करनी होगी।
  • बैंक सत्यापन उद्देश्यों के लिए एक ओटीपी भेजेगा।
  • अतिरिक्त शुल्क बैंक में ब्याज के रूप में जोड़े जाएंगे ।

ऑफलाइन  लाइन शुल्क भुगतान

  • अभ्यर्थियों को वेबसाइट से चालान डाउनलोड करना होगा।
  • आवेदन पत्र, नाम और परीक्षा लागू विवरण भरें।
  • चालान का भुगतान सिंडीकेट / केनरा / आईसीआईसीआई बैंक ऑफ इंडिया में किया जा सकता है।
  • पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने के लिए उम्मीदवारों को चालान नंबर दर्ज करना होगा।

यूजीसी नेट आवेदन पत्र के लिए कैसे आवेदन करें

  • यूजीसी नेट यानी ntanet.nic.in या nta.ac.in की आधिकारिक वेबसाइट लिंक पर जाएं।
  • “नेट के लिए आवेदन करें” से संबंधित लिंक पर क्लिक करें।
  • “नया उम्मीदवार पंजीकरण” अनुभाग पर जाएं।
  • सभी निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और “ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आगे बढ़ें” पर क्लिक करें।
  • स्क्रीन पर ऑथेंटिकेशन फॉर्म खुल जाएगा।
  • राष्ट्रीयता, राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों का विवरण दर्ज करें जो आपके पास हैं, पहचान प्रकार, पहचान संख्या, उम्मीदवार का नाम, डीओबी, लिंग, आदि का चयन करें।
  • विवरण भरने के बाद सबमिट बटन पर क्लिक करें।
  • एक बार प्रमाणीकरण प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, उम्मीदवार आवेदन भरने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
  • उम्मीदवारों को आवेदन पत्र में सभी आवश्यक विवरण भरने होंगे।
  • विवरण जमा करने के बाद, एक एप्लिकेशन नंबर जेनरेट किया जाएगा।
  • निर्धारित प्रारूप में नवीनतम फोटोग्राफ और हस्ताक्षर की स्कैन की गई छवियां अपलोड करें।
  • अब, ऑनलाइन या ऑफलाइन विधि के माध्यम से आवेदन शुल्क का भुगतान करें।
  • शुल्क भुगतान पूरा करने के बाद, उम्मीदवारों को पुष्टिकरण पृष्ठ का प्रिंटआउट लेना होगा और इसे सुरक्षित रखना होगा।

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