इतिहासदक्षिण भारतपल्लव राजवंशप्राचीन भारत

पल्लव शासकों की वंशावली तथा तिथिक्रम

पल्लव वंश के प्रारंभिक शासकों का पता हमें प्राकृत ताम्रलेखों के आधार पर होता है। प्राकृत लेख 250 ई. से 350 ई. तथा संस्कृत लेख 350 ई. से 600 ई. के बीच के हैं। प्राकृत भाषा के ताम्रलेखों से पता चलता है, कि पल्लव वंश का प्रथम शासक सिंहवर्मा था, जिसने तृतीय शता.ई. के अंतिम चरण में शासन किया था…अधिक जानकारी

सिंहवर्मन – 550-575ई.

कांची के पल्लव राजवंश के उत्कर्ष का इतिहास वस्तुतः सिंहवर्मन (550-575ई.) के समय से प्रारंभ होता है। विष्णुगोप तथा सिंहवर्मन के बीच की लगभग दो शताब्दियों में आठ राजाओं ने कांची पर शासन किया। इन राजाओं के नाम – कुमारविष्णु प्रथम,बुद्धवर्मा, कुमारविष्णु द्वितीय, स्कंदवर्मा द्वितीय, सिंहवर्मा,स्कंदवर्मा तृतीय, नंदिवर्मा प्रथम, शांतिवर्मा चंडदंड …अधिक जानकारी

सिंहविष्णु – 575-600ई.

महान पल्लव शासकों की सूची में सर्वप्रथम सिंहवर्मन के पुत्र तथा उत्तराधिकारी सिंहवषिष्णु (575-600ई.) का नाम आता है। उसने अवनिसिंह की उपाधि धारण की तथा अनेक स्थानों को जीत कर अपने राज्य का विस्तार किया…अधिक जानकारी

महेन्द्रवर्मन प्रथम – 600-630 ई.

कांची के पल्लव शासक सिंहविष्णु का पुत्र तथा उत्तराधिकारी महेन्द्रवर्मन प्रथम (600-630ई.) हुआ। वह पल्लव वंश के महानतम शासकों में से था…अधिक जानकारी

नरसिंहवर्मन प्रथम – 630-668ई.

महेन्द्रवर्मन प्रथम के बाद उसका पुत्र नरसिंहवर्मन प्रथम (630-668ई.) कांची के पल्लव वंश का राजा बना। वह अपने काल का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था, जिसके समय में पल्लव शक्ति तथा प्रतिष्ठा का विस्तार हुआ…अधिक जानकारी

महेन्द्रवर्मन द्वितीय – 668-670ई.

कांची के पल्लव शासक नरसिंहवर्मन प्रथम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र महेन्द्रवर्मन द्वितीय शासक बना। उसने केवल दो वर्षों (668-670ई.) तक राज्य किया। उसका शासन एवं समृद्धि का काल था…अधिक जानकारी

परमेश्वरवर्मन प्रथम – 670-700ई.

कांची के पल्लव शासक महेन्द्रवर्मन द्वितीय का पुत्र तथा उत्तराधिकारी परमेश्वरवर्मन प्रथम था। इसने 670-700ई. तक राज्य किया था। इसके समय में पल्लव-चालुक्य संघर्ष पुनः छिङ गया था …अधिक जानकारी

नरसिंहवर्मन द्वितीय – 700-728ई.

नरसिंहवर्मन प्रथम पल्लव शासक परमेश्वरवर्मन का पुत्र तथा उत्तराधिकारी था, जिसने लगभग 700 ई. से 728 ई. तक राज्य किया। उसके समय में पल्लव – चालुक्य संघर्ष रुका रहा…अधिक जानकारी

परमेश्वरवर्मन द्वितीय – 728-730ई.

कांची के पल्लव वंश के शासक नरसिंहवर्मन द्वितीय का पुत्र तथा उसके बाद बनने वाला शासक परमेश्वरवर्मन द्वितीय था। उसने केवल दो-तीन वर्षों (728-730-31ई.) तक राज्य किया था…अधिक जानकारी

नंदिवर्मन द्वितीय – 730-800ई.

कांची के पल्लव शासक परमेश्वरवर्मन द्वितीय की मृत्यु के बाद पल्लव राज्य में संकट के बादल छा गये, क्योंकि उसकी शाखा में कोई भी उत्तराधिकारी बनने वाला नहीं था…अधिक जानकारी

दंतिवर्मन – 800-846ई.

दंतिवर्मन कांची के पल्लवकालीन नंदिवर्मन द्वितीय का पुत्र था, जो उसकी पत्नी रेवा (राष्ट्रकूट नरेश दंतिदुर्ग की कन्या) से उत्पन्न हुआ।अपने पिता के समान उसने भी दीर्घकाल (800-846-47ई.) तक शासन किया…अधिक जानकारी

नंदिवर्मन तृतीय – 846-869ई.

कांची के पल्लव शासक दंतिवर्मन की मृत्यु के बाद उसका पुत्र नंदिवर्मन तृतीय(Nandivarman III) (846-69ई.) शासक बना। वह एक पराक्रमी शासक था। अभिलेखों से पता चलता है, कि उसने पाण्ड्यों की सेना को तेल्लारु (कांञ्ची के पास) में रोका तथा उसे कई युद्धों में पराजित किया…अधिक जानकारी

नृपतुंगवर्मन – 869-880ई.

कांञ्ची के पल्लव वंश के शासक नंदिवर्मन तृतीय का पुत्र नृपतुङ्ग था। जो 869-880ई. तक शासक रहा। यह भी अपने पिता के ही समान शक्तिशाली राजा था, जिसने अपने साम्राज्य को अक्षुण्य बनाये रखा। बाहूर (पांडीचेरी के समीप) दानपत्र से पता चलता है, कि उसने अरचित नदी के तट पर पाण्ड्यों को पराजित किया था…अधिक जानकारी

अपराजित – 880-903ई.

काञ्ची के पल्लव वंश का शक्तिशाली तथा अंतिम महत्त्वपूर्ण शासक अपराजित था। 885 ई. में उसने गंगनरेश पृथ्वीपति तथा चोलनरेश आदित्य प्रथम की सहायता प्राप्त कर पाण्ड्यवंशी शासक वरगुण द्वितीय को श्रीपुरम्बियम् के युद्ध में पराजित किया…अधिक जानकारी

अपराजित के बाद दो राजाओं के नाम पता लगते हैं – नंदिवर्मा चतुर्थ (904-926ई.) तथा कम्पवर्मा(948-980ई.)। वे अपने राज्य को चोल राजाओं से बचाने का असफल प्रयास करते रहे।

अंत में पल्लव राज्य चोल शासकों द्वारा जीतकर अपने राज्य में मिला लिया गया। इस प्रकार दक्षिण भारत की प्रभुसत्ता पल्लवों से चोलवंश के हाथों में आ गयी।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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